
5 दिन से वेतन व अन्य मांगों को लेकर विरोध
जयपुर। राजस्थान में ढाई लाख से अधिक संविदा कर्मचारी विभिन्न सरकारी विभागों और महकमों में वर्षों से सेवाएं दे रहे हैं। इनमें कंप्यूटर ऑपरेटर, एलडीसी, लैब असिस्टेंट, इलेक्ट्रीशियन से लेकर माली, सफाईकर्मी और वॉचमैन जैसे कर्मचारी शामिल हैं। लेकिन हर बार उन्हें वेतन और नियमितीकरण को लेकर संघर्ष करना पड़ता है।
इसी कड़ी में राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के 700 से अधिक संविदा कर्मचारी पिछले 5 दिनों से धरने पर बैठे हैं। उनकी मुख्य मांगें हैं—
- न्यूनतम वेतन में वृद्धि
- लंबित एरियर का भुगतान
- अवकाश के दिनों का वेतन
- सफाईकर्मियों के बिल पूर्ववत् जारी करने की व्यवस्था
- हेड एवं निदेशक से बिल अनुमोदन की प्रक्रिया पूर्व की तरह रखना
ओम सिंह (संविदा कर्मचारी संघ अध्यक्ष) का बयान
लोकल-18 से बात करते हुए संघ अध्यक्ष ओम सिंह ने बताया कि राजस्थान सरकार ने संविदा कर्मचारियों की भर्ती RLSDC (Rajasthan Labour & Skill Development Corporation) के माध्यम से करने का वादा किया था, ताकि प्राइवेट एजेंसियों के शोषण से बचा जा सके। लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
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उनका कहना है कि अन्य विश्वविद्यालयों में संविदा कर्मचारियों को ₹12,000 से ₹25,000 तक का वेतन मिलता है, जबकि राजस्थान विश्वविद्यालय में उन्हें मात्र ₹7,000 से ₹9,000 मिल रहा है, जो नियमों के खिलाफ है।
महिलाओं की बड़ी संख्या भी आंदोलन में
धरने में सैकड़ों महिला कर्मचारी भी शामिल हैं। कर्मचारियों का कहना है कि प्रशासन और एजेंसियों की लापरवाही के चलते उन्हें समय पर वेतन नहीं मिलता और श्रम विभाग के नियमों का पालन नहीं हो रहा।
प्रभाव
कर्मचारियों के काम रोक देने से विश्वविद्यालय के कई दैनिक कार्य प्रभावित हो रहे हैं। कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा है, लेकिन समाधान न मिलने पर आंदोलन जारी है।