स्कूलों में शिक्षा का नया रूप: 1320 घण्टों की जगह अब 600 घण्टे पढ़ाई की योजना बना रही है केन्द्र सरकार!

जयपुर। कोरोना महामारी के चलते स्कूली बच्चों को पढ़ाई बहुत प्रभावित हुई है, इससे अभिभावक ही नहीं केन्द्र सरकार भी चिंतित है। इस समय में बच्चों की शिक्षा को आगे बढ़ाना शिक्षा विभाग और राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। इस समय ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा देने के बेहतरीन प्रयास विभाग की ओर से किए जा रहे हैं। लेकिन लंबे समय तक यह पढ़ाई का स्थायी विकल्प नहीं हो सकता है।
ऐसे में बच्चों का कोरोना संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय एनसीईआरटी के सहयोग से सत्र 2020-21 के लिए नई गाइडलाइन जारी करने पर कवायद कर रहा है। इसमें विद्यार्थी हित को देखते हुए शिक्षण व्यवस्था व प्रबंधन में कई परिवर्तन किए जा रहें हैं।
एनसीईआरटी की ओर से जारी वर्तमान पाठ्यक्रम को भी कम किया जा सकता है क्योंकि वर्तमान में स्कूलों में पढ़ाई के लिए 220 शैक्षणिक दिन और 1320 शैक्षणिक घंटे होते हैं जबकि एमएचआरडी इन्हें आधा कर 100 शैक्षणिक दिन और 600 शैक्षणिक घंटों की योजना तैयार कर रहा है। जिससे पूरा पाठ्यक्रम पढ़ पाना बच्चे के लिए आसान नहीं होगा।
दो या तीन पारियों में लग सकती है कक्षाएं
फिजिकल डिस्टेंसिंग की पालना और अत्यधिक भीड़ से विद्यार्थियों के बचाव के लिए एमएचआरडी की ओर से एक बार में 30 से 50 प्रतिशत बच्चों को ही स्कूल बुलाए जाने पर मशक्कत की जा रही है, जिससे अलग-अलग शिफ्ट में बच्चों को बुलाया जाना प्रस्तावित है।
कक्षा एक से पांच तक के बच्चों को सप्ताह में दो बार कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को सप्ताह में दो या चार बार कक्षा 9 से 12 तक के बच्चों को चार या पांच बार बुलाया जा सकता है। पांचवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों की आयु 6 से 10 वर्ष होने के कारण शुरुआती दिनों में इन विद्यार्थियों को विद्यालय आने से पूर्ण छूट भी मिल सकती है।
पढ़ाई के साथ-साथ मूल्यांकन प्रक्रिया में भी होगा सुधार
विद्यालयों में पढ़ाई के साथ साथ बच्चों के अधिगम स्तर की जांच के लिए समय-समय पर विभिन्न अंतरालों पर विभिन्न परख, अद्र्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है। कोरोना वायरस के दृष्टिगत सत्र 2020-21 में परीक्षा पद्धति और मूल्यांकन प्रक्रिया में भी काफी परिवर्तन होना संभावित है। इसमें कुछ परीक्षाओं में छूट या समयावधि में कटौती को शामिल किया जा सकता है।
शिक्षा जगत के सामने ये हैं चुनौतियां

  • बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाए रखना इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है। अगर एक भी बच्चा कोरोना संक्रमित हो जाता है तो उससे पूरी क्लास और पूरे परिवार के संक्रमित होने का खतरा है।
  • बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा देने का विकल्प उन गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित रख सकता है, जो दुर्बल व निर्धन वर्ग से आते हैं और जिनके पास संसाधनों की भारी कमी है।
  • सेनेटाइजर, मास्क, कक्षा सेनेटाइज, पारियों के अनुसार अध्यापकों का प्रबंधन व आर्थिक भार भी बड़ी चुनौती है।
  • सीमित संसाधनों वाले जिलों में कम बच्चों के साथ स्कूलों को चलाने का विकल्प व्यावहारिक नहीं हो सकता है।
    10वीं और12वीं कक्षा के अलावा समस्त कक्षाओं के विद्यार्थी अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत हो चुके हैं।
    विद्यालयों में 17 मई से 30 जून तक ग्रीष्मावकाश घोषित है। 10वीं और 12वीं कक्षा के अलावा समस्त कक्षाओं के विद्यार्थी अगली कक्षाओं में क्रमोन्नत हो चुके हैं। जिनकी संबंधित कक्षा की पढ़ाई विभाग के डिजिटल प्लेटफार्म पर मोबाइल, रेडियो, टीवी आदि के माध्यम से जारी है।