India Education Ranking: वैश्विक शिक्षा रैंकिंग 2025 में भारत की स्थिति चिंतन का विषय बनी हुई है। जहाँ दक्षिण कोरिया, डेनमार्क, जापान और स्विट्ज़रलैंड जैसे देश शीर्ष स्थानों पर हैं, वहीं भारत को 101वाँ स्थान मिला है। यह रैंकिंग शिक्षा की गुणवत्ता, पहुँच, साक्षरता दर और नवाचार जैसे मानकों पर आधारित है। ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि भारत अपनी शिक्षा प्रणाली को अधिक समावेशी, व्यावहारिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाए।
India Education Ranking
भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की रैंकिंग में कुछ सकारात्मक संकेत भी मिले हैं। NIRF 2025 के अनुसार, IIM अहमदाबाद ने मैनेजमेंट श्रेणी में पहला स्थान हासिल किया है, जबकि IISc बेंगलुरु Times Higher Education World University Ranking में भारत की ओर से शीर्ष पर रहा। यह दर्शाता है कि भारत के कुछ संस्थान वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अपनी पहचान बना रहे हैं, लेकिन समग्र शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की ज़रूरत बनी हुई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की शिक्षा प्रणाली में समानता, नवाचार और स्किल-बेस्ड लर्निंग की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल ड्रॉपआउट दर, शिक्षकों की कमी और डिजिटल संसाधनों का अभाव अब भी बड़ी चुनौतियाँ हैं। NEP 2020 ने इन समस्याओं को हल करने के लिए कई पहलें शुरू की हैं — जैसे फाउंडेशनल लिटरेसी, मातृभाषा में शिक्षा और वैल्यू-बेस्ड लर्निंग।
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भारत की शिक्षा रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है कि सरकार, निजी क्षेत्र और समाज मिलकर काम करें। डिजिटल शिक्षा, शिक्षक प्रशिक्षण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही, छात्रों को केवल परीक्षा पास करने के लिए नहीं, बल्कि सोचने, समझने और नवाचार करने के लिए तैयार करना होगा।
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निष्कर्षतः, भारत की वैश्विक शिक्षा रैंकिंग एक चेतावनी भी है और एक अवसर भी। जहाँ चुनौतियाँ हैं, वहीं सुधार की संभावनाएँ भी हैं। जब शिक्षा व्यवस्था को समग्र दृष्टिकोण से देखा जाएगा — तब भारत न केवल रैंकिंग में ऊपर जाएगा, बल्कि एक ज्ञान-समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेगा।
