माता पिता की सेवा नहीं करने वाले जेल जायेंगे, पैत्रक सम्पत्ति से बेदखल होंगे


सवाई माधोपुर। जिला कलक्टर डॉ. एस. पी. सिंह ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 की प्रभावी पालना के निर्देश दिये हैं।
जिला कलक्टर ने बताया कि यह अधिनियम राज्य में 1 अगस्त, 2008 से लागू है। अधिनियम के क्रियान्वयन के लिये प्रत्येक उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में अधिकरण बनाया गया तथा जिले स्तर पर अपीलीय अधिकरण का गठन किया गया। जिला समाज कल्याण अधिकारी को अनुरक्षण अधिकारी (मैन्टेनैंस ऑफिसर) के रूप में अधिसूचित किया गया। उक्त पदाधिकारी द्वारा अधिनियम के अन्तर्गत प्राप्त प्रकरणों का निस्तरण किया जाता है। माता पिता को भोजन, कपडा जैसी आवश्यक सेवा/वस्तु न देने वालों को उपखण्ड मजिस्ट्रेट के पास जेल भेजने और पैत्रक सम्पत्ति से वंचित करने का अधिकार है।
जिला कलक्टर ने बताया कि अधिनियम की धारा 32(1) की पालना में राजस्थान सरकार ने माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण नियम-2010 जारी किये गये। अधिनियम की धारा 23(1) के अनुसार कतिपय परिस्थितियों में सम्पत्ति के अन्तरण को शून्य घोषित करने के संबंध में समस्त जिला कलेक्टर एवं उपखण्ड अधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश के लिये परिपत्र जारी किया।
राज्य में राज्य/केन्द्र सरकार द्वारा अनुदानित राजकीय एवं स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से कुल 45 वृद्धाश्रम संचालित है, जिनमें गरीब वृद्ध निःसहाय, निराश्रित, सन्तानहीन, परिवार से प्रताड़ित तथा वृद्ध व्यक्ति आजीविका चलाने में असमर्थ वृद्ध महिल/पुरूष जिनकी आयु 60 वर्ष अथवा इससे अधिक है, उन्हें आवास, भोजन- वस्त्र, मनोरंजन, चिकित्सा, पत्र-पत्रिका आदि की निःशुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है।
राज्य में कुल 22 भक्त श्रवण कुमार कल्याण सेवा आश्रम (डे-केयर सेन्टर) संचालित किये जा रहे है। जिनमें उनकी आवश्यकताओं जैसे चिकित्सा सेवा, प्रौढ शिक्षा, धार्मिक प्रवचन, धार्मिक स्थलों का भ्रमण एवं निःशुल्क चाय, अल्पाहार, पत्र-पत्रिकाएं व मनोरंजन आदि की सुविधाएं उपलब्ध करायी जाती है। वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों के पुनर्वास एवं संरक्षण की दिशा में समुचित कार्य करने के लिये राजस्थान राज्य वरिष्ठ नागरिक कल्याण बोर्ड का गठन किया गया।