महामारी(Epidemic):जयपुर-कोटा और बारां में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि, 24 घंटे में 246 कौवे मरे

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  • अब तक 717 कौवे दम तोड़ चुके
  • बर्ड फ्लू से जुड़ी सूचना 181 नंबर पर दे सकते हैं।

प्रदेश में कोरोना का कहर तो कम हो रहा है, लेकिन बर्ड फ्लू का असर बढ़ रहा है। मंगलवार को झालावाड़ के बाद जयपुर, कोटा और बारां में भी बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई। जयपुर में जल महल से भेजे गए मृत कौओं के सैंपल में इसकी पुष्टि हुई। है। प्रदेश में बीते 24 घंटे में 246 और कौओं की मौत हुई। अब तक कुल 717 कौवे जान गंवा चुके हैं।

वहीं कोटा की रामगंजमंडी में 212 मुर्गियां मृत मिली हैं। जांच के लिए कुल 110 सैंपल भोपाल स्थित राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (निशाद) भेजे जा चुके हैं। इनमें से 40 की रिपोर्ट आई, जिनमें 25 पॉजिटिव हैं। राहत ये है कि जोधपुर के सभी 15 सैंपल निगेटिव आए हैं।


पोल्ट्री में कोई केस नहीं, एहतियात के लिए आवाजाही पर लगा सकते हैं रोक

अब तक पोल्ट्री फार्म्स में बर्ड फ्लू की कोई पुष्टि नहीं हुई है लेकिन एमपी में बर्ड फ्लू के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार कोटा-बारां में मध्यप्रदेश की सीमा पर पॉल्ट्री की आवाजाही पर रोक लगाने पर विचार कर रही है। प्रदेश में अब तक 1,015 पक्षियों की मौत हो चुकी है, जिनमें 717 कौवे हैं।

बर्ड फ्लू के खतरे को देखते हुए सरकार पॉल्ट्री फार्म एसोसिएशन के साथ बुधवार को बैठक करेगी। पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया बोले- कई राज्यों में पॉल्ट्री प्रोडेक्ट पर रोक लगा दी गई है। अब तक प्रदेश में पोल्ट्री फार्म में बर्ड फ्लू का कोई केस नहीं आया है इसलिए यहां इस पर रोक नहीं लगाई गई है।
भास्कर ने उठाया मुद्दा, विभाग ने केंद्र को लिखी चिट्टी, केंद्र ने दी मंजूरी और राजस्थान में बर्ड फ्लू की जांच करने वाली देश की दूसरी लैब का रास्ता साफ

बर्ड फ्लू सैंपलों की जांच में लग रहे समय को देखते हुए सरकार ने प्रदेश में भी आरटीपीसीआर लैब खोलने का प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया है। पशुपालन विभाग के प्रमुख सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि उन्होंने प्रदेश में लैब खोलने के लिए केंद्र के संयुक्त सचिव से बात की। मीणा ने बताया कि केंद्र ने अपनी सहमति दे दी है लेकिन राजस्थान में लैब को पूरी तरह काम करने में करीब 4 महीने लगेंगे। इसके लिए राज्य सरकार जयपुर स्थित वेटनरी लैब का विस्तार करने की योजना बना रही है।

अब तक झालावाड़ में सबसे ज्यादा 155 कौवे मृत मिले

जगह नए कुल झालवाड़ 37 155 बारां 36 120 हनुमानगढ़ 4 92 कोटा 17 85 जयपुर 31 82 बीकानेर 2 37 नागौर 11 28

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एक्सपर्ट व्यू; ये वायरस भी 2003 में सबसे पहले चीन में फैला था, इसमें भी निमोनिया घातक हो जाता है लेकिन ये इंसान से इंसान में नहीं फैल सकता

पोल्ट्री में काम करने वाले लोगों में इस वायरस के फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। लेकिन यह वायरस इंसान से इंसान में नहीं फैलता। जब कोई व्यक्ति इस वायरस की चपेट में आता है तो उससे बुखार, जुकाम, आंखों का लाल होना, निमोनिया और मांसपेशियों में दर्द की समस्या रहती है। इंसान में इस वायरस से निमोनिया होता है तो वह घातक हो जाता है लेकिन इसका इलाज भी है। स्वाइन फ्लू में दी जाने वाली दवा इस पर भी काम करती है। 2003 में यह वायरस चीन से फैला था लेकिन तब से अब तक करीब 1500 लोग ही इस वायरस से प्रभावित हुए हैं। इसलिए इंसानों को ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है।
– डॉ. रमन शर्मा, सीनियर प्रोफेसर (मेडिसिन)

मर्ज जानलेवा है

आर्थोमिक्सोविरिडी परिवार का यह इंफ्लूएंजा जाति के ए टाइप के वायरस से फैलता है। इसकी करीब 15 उपजातियां होती हैं, जिनमें से एच-5, एच-7 और एच-9 जातियों से पक्षियों में प्राणघातक संक्रामक रोग फैलता है।

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