Indira Gandhi Feeder और मुख्य नहर में रीलाइनिंग के काम लक्ष्य के अनुरूप

जयपुर। मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने इंदिरा गांधी फीडर (Indira Gandhi Feeder) और मुख्य नहर में चल रहे रीलाइनिंग के कार्य की समीक्षा की तथा कार्य की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत के कार्यों के लिए 60 दिन का क्लोजर किया गया है, वह एतिहासिक है, जो क्रमबद्ध तरीके से की गई प्लानिंग के कारण ही संभव हो सका है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसानों को माइक्रो इरिगेशन प्रणाली (Micro irrigation system) अपनाने के लिए प्रेरित करें। इससे सिंचाई के पानी की बचत होगी तथा नहर से पेयजल आपूर्ति को और भी विस्तार दिया जा सकेगा। 
मुख्य सचिव शुक्रवार को शासन सचिवालय में रेगिस्तानी क्षेत्र (Desert area) के लिए राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्गठन परियोजना की स्टेंडिंग लेवल कमेटी की पहली बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों से नहर में चल रहे रीलाइनिंग के कार्यों की प्रगति तथा इस दौरान नहर में कम्पोजिट क्लोजर तथा सम्पूर्ण क्लोजर के समय पेयजल की आपूर्ति आदि की व्यवस्थाओं के बारे में भी जानकारी ली। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिये। उन्होंने बताया कि जो क्लोजर पहले 70 दिन का था, उसे राज्य सरकार द्वारा आग्रह करने पर पंजाब सरकार ने सहयोग कर 60 दिन का कर दिया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी नहर साठ साल पुरानी है। लगातार पानी के बहाव के कारण इसकी क्षतिग्रस्त लाइनिंग को फिर से बनाना एक चुनौती भरा काम था, जिसका बेहतरीन क्रियान्वयन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे ना केवल नहर की क्षमता बढ़ेगी, बल्कि सीपेज के कारण पानी की हानि तथा वाटर लॉगिंग की समस्याओं से भी निजात मिलेगी। उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी नहर से 16.17 लाख हैक्टेयर क्षेत्रफल के लिए सिंचाई का पानी तथा 7 हजार 500 गांवों तथा 49 शहरों के लगभग 1.7 करोड लोगों को पीने का पानी सुलभ होता है। 

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आर्य ने इंदिरा गांधी केनाल फीडर, मुख्य नहर तथा डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के कार्यों की भौतिक एवं वित्तीय प्रगति के बारे में जानकारी ली। उन्होंने अभी तक योजना पर खर्च तथा आगे बजट की अनुमानित आवश्यकओं के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने प्रोजेक्ट में अनुमानित बचत की राशि से 444 .21 करोड़ रुपयें के नए कार्यों का अनुमोदन किया। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव ने किसानों को स्पि्रंकलर तथा बूंद बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से प्रोजेक्ट एरिया में प्रोजेक्ट फंड से माइक्रो इरिगेशन पर सब्सीडी को 5 से 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का अनुमोदन किया। उन्होंने कोविड महामारी के कारण प्रोजेक्ट में देरी होने की वजह से पूरे प्रोजेक्ट की अवधि को 2 साल बढ़ाकर 12 फरवरी 2025 तक करने का भी अनुमोदन किया। 
बैठक में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी प्रोजेक्ट के कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नहर बंदी कर मरम्मत के कार्यों को सफलतापूर्वक करना तथा इस दौरान पेयजल की व्यवस्था सुचारू बनाए रखना एक एतिहासिक काम है।

Micro irrigation system

जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव नवीन महाजन ने बताया कि प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन की सबसे बडी चुनौती क्लोजर के दौरान पीने के पानी की आपूर्ति थी। इसके लिए 30 दिन के कंपोजिट क्लोजर के दौरान पेयजल की व्यवस्था सरहिंद फीडर से की गई। इसके बाद 30 दिन का पूर्ण क्लोजर किया गया है। उन्होंने बताया कि क्लोजर 28 मई तक चलेगा। महाजन ने बताया कि राजस्थान द्वारा 48.62 किलोमीटर नहर की रीलाइनिंग के कार्य के लक्ष्य के विरुद्ध 19 मई तक नहर की बैड रीलाइनिंग का काम 42.60 प्रतिशत तथा साइड स्लोप की रीलाइनिंग का कार्य 54.29 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है।   
प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि मात्र 30 दिन में इस लक्ष्य को पूरा करना चुनौतीपूर्ण है। प्रोजेक्ट का काम दिन-रात 24 घण्टे लगातार चलता रहता है। इस कार्य के लिए साढ़े तीन हजार मजदूर लगाए गए हैं, जो हर दिन तीन पारियों में काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कार्य के लिए लगभग तीन लाख घन मीटर कंकरीट लगेगा। जिसमें 19.5 लाख सीमेन्ट के कट्टे तथा 1.37 लाख घन मीटर बजरी व 2.73 लाख घन मीटर गिट्टी का इस्तेमाल होगा। उन्होंने बताया कि इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इस दौरान कोविड़ प्रोटोकॉल का भी पूरी तरह ध्यान रखा गया है। 
बैठक में वित्त विभाग के शासन सचिव श्री पृथ्वी राज, कृषि विभाग के आयुक्त ओम प्रकाश, बीकानेर तथा जोधपुर के संभागीय आयुक्त तथा संबंधित विभागों के अधिकारियों ने वीसी के जरिये भाग लिया।