जयपुर। वन विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती श्रेया गुहा की अध्यक्षता में वन क्षेत्रों में उगे हुए प्रोसोपिस जुलीफ्लोरा (विलायती बबूल) के उन्मूलन के संबंध में प्रेषित विभागीय प्रस्तावों पर चर्चा के लिये मंगलवार को बैठक हुई। इसमें प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख श्रीमती श्रुति शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन्य जीव प्रतिपालक श्री मोहन लाल मीणा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (विकास) डॉ. दीप नारायण पाण्डेय, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक विकास, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन सुरक्षा, अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्पादन एवं मुख्य वन संरक्षक आयोजना सम्मिलित हुए ।
बैठक में विभाग द्वारा प्रस्तावित विभिन्न विकल्पों एवं इन विकल्पों के क्रियान्वयन के लिए आवश्यक आदेशों एवं वित्तीय संसाधनों के संबंध में चर्चा की गई। प्रमुख सचिव वन ने निर्देश दिए कि विभिन्न विकल्पों के संबंध में स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर तैयार किया जाए तथा उसके अनुसार वित्तीय संसाधनों की व्यवस्था के लिए प्रयास किए जाएं।
श्रीमती श्रेया गुहा ने यह भी निर्देश दिया कि वर्तमान में वन विभाग द्वारा नियमित योजनाओं में उपलब्ध बजट के अनुसार जो प्रोसोपिस जुलीफ्लोरा उन्मूलन कार्य कराया जा रहा है, उसकी स्थानीय स्तर पर मॉनिटरिंग भी की जाए। थीम बेस्ड मॉनिटरिंग के आधार पर जो क्षेत्र प्रोसोपिस जुलीफ्लोरा के उन्मूलन के संबंध में चिन्हित किए गए थे, उनको भी लेने का प्रयास किया जाए।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि जिन क्षेत्रों में सघन प्रोसोपिस जुलीफ्लोरा आच्छादित हो गया है, वहां विदोहन की कार्यवाही के लिए राजस्थान वन विकास निगम को आमंत्रित कर इस कार्य को निगम के माध्यम से कराए जाने की संभावनाओं का पता लगाया जाए। तदानुसार कार्यवाही की जाए।
बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रोसोपिस उन्मूलन के संबंध में विभिन्न विभागों द्वारा अलग-अलग दिशा- निर्देश विगत वषोर्ं में जारी किए गए हैं। इन दिशा-निर्देशों में वांछित परिवर्तन कराए जाने के संबंध में पृथक पत्रावली प्रेषित कराई जाए। प्रोसोपिस उन्मूलन के कार्य में यथा आवश्यकता यदि वकिर्ंग प्लान में कोई डेविएशन है तो नियमानुसार उसकी अनुमति भी सक्षम प्राधिकारी से प्राप्त कराना आवश्यक होगा।