निर्भया मामला: चारों दोषियों को सजा-ए-मौत, सात साल बाद मिला इंसाफ

नई दिल्ली । सात साल, तीन महीन और तीन दिन पहले यानि 16 दिसम्बर 2012 को भारत की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर चलती बस में छह दरिंदों ने पैरामेडिकल की छात्रा (निर्भया) के साथ दरिंदगी की सभी हदें पार कर दी थी। इस घटना ने हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु पूरे विश्व को हिला कर रखा दिया था। आखिर 7 साल, 3 महीने और 4 दिन के बाद निर्भया को आखिरकार इंसाफ मिल गया। वही निर्भया, जिसके साथ 16 दिसंबर 2012 की रात दिल्ली में मुकेश, अक्षय, विनय और पवन ने दुष्कर्म किया था। इन दुष्कर्मियों को निचली अदालत ने 9 महीने में ही फांसी की सजा सुना दी थी। 6 महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी। मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी फांसी पर मुहर लगा दी। फिर 2 साल 10 महीने गुजर गए। शुक्रवार को फांसी का दिन मुकर्रर था। इससे पहले दुष्कर्मियों ने 15 घंटे में 6 याचिकाएं दायर कीं। सब खारिज हो गईं। सुबह 5 बजे से तिहाड़ जेल में फांसी की आखिरी तैयारियां शुरू हुईं। दुष्कर्मियों को फांसी के तख्ते तक ले जाया गया। चारों के हाथ-पैर बांधे गए। दोषी विनय रोने लगा। फिर सभी दोषियों के गले में फंदे कसे गए। नकाब डाला गया। फिर जल्लाद ने लीवर खींच लिया… मानो देश को ही इंसाफ मिल गया। जेल प्रशासन ने 7 मिनट बाद सभी की मौत की पुष्टि की। 30 मिनट बाद डॉक्टरों ने सभी दुष्कर्मियों को मृत घोषित कर दिया। अपडेट्स:  6:25 AM: दुष्कर्मियों के शवों को फंदे से उतारा गया। 6.10 AM: मेडिकल अफसर ने चारों दुष्कर्मियों को मृत घोषित किया। 36 साल 5 महीने पहले एकसाथ 4 दोषियों को फांसी दी गई थी
निर्भया केस से 36 साल 5 महीने पहले यानी 25 अक्टूबर 1983 को पुणे की येरवड़ा सेंट्रल जेल में राजेंद्र जक्काल, दिलीप सुतार, शांताराम जगताप और मुनव्वर शाह को एकसाथ फांसी पर लटकाया गया था। ये सभी जनवरी 1976 से मार्च 1977 के बीच 10 सीरियल किलिंग के दोषी थे।दुष्कर्म के मामले में 16 साल पहले फांसी दी गई थी
14 अगस्त 2004 को धनंजय चटर्जी को अलीपुर सेंट्रल जेल में फांसी दी गई थी। वह कोलकाता में 14 साल की छात्रा से दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने का दोषी था। इसके बाद 3 आतंकियों को मौत की सजा दी गई। 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु, 21 नवंबर 2012 को अजमल कसाब और 30 जुलाई 2015 को याकूब मेनन को फांसी पर लटकाया गया था। मां ने कहा- आज का सूरज बेटी के नाम
दुष्कर्मियों को फांसी के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने बेटी की तस्वीर को गले से लगाकर कहा- आज तुम्हें इंसाफ मिल गया। आज का सूरज बेटी निर्भया के नाम है, देश की बेटियों के नाम है। बेटी जिंदा रहती तो मैं डॉक्टर की मां कहलाती। आज निर्भया की मां के नाम से जानी जा रही हूं। 7 साल की लंबी लड़ाई के बाद अब बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। महिलाएं अब सुरक्षित महसूस करेंगी। हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करेंगे कि वह गाइडलाइन जारी करे ताकि ऐसे मामलों में दोषी सजा से बचने के हथकंडे न आजमा सकें।  बेशर्मी: दुष्कर्मियों के वकील ने कहा- मां को रात 12.30 बजे तक क्यों नहीं पता था कि बेटी कहां है?
सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किए जाने पर एपी सिंह ने मीडिया से कहा- एक मां के लिए आप सात साल से नाचते घूम रहे हो। यह मां नहीं है क्या। क्या आठ साल से कम उम्र का कोई विक्टिम है। चोर की मां की बात है तो फिर उस कारण पर जाओ कि रात 12.30 बजे तक क्यों नहीं पता था कि बेटी कहां है। यह बात छोड़ दीजिए। फिर बातें बढ़ेंगी। आखिरी कोशिशें: 24 घंटे में 6 याचिकाएं, सभी खारिज

  • अक्षय ने राष्ट्रपति की ओर से दूसरी दया याचिका ठुकराने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, अदालत ने इसे खारिज किया।
  • सुप्रीम कोर्ट ने दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया। मुकेश ने दावा किया था कि गैंगरेप के वक्त वह दिल्ली में ही नहीं था।
  • सुप्रीम कोर्ट में ही दोषी पवन गुप्ता की क्यूरेटिव पिटीशन खारिज हो गई।
  • दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने 3 दोषियों की फांसी पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया।
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने फांसी पर रोक की याचिका खारिज की।
  • पवन दया याचिका खारिज करने के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, यहां भी याचिका खारिज कर दी गई।

दुष्कर्मियों के वकील की दलीलों पर तल्ख टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट
: आप मुवक्किल के नाबालिग होने के दस्तावेज बार-बार पेश कर रहे हैं। यह दस्तावेज इस अदालत में भी रखे गए। आप जो आधार बता रहे हैं, उन पर पहले ही बहस हो चुकी है। दया याचिका को चैलेंज करने का क्या आधार है।
दिल्ली हाईकोर्ट: अब समय आ गया है, जब आपके मुवक्किल भगवान से मिलेंगे। समय बर्बाद मत कीजिए। अगर आप महत्वपूर्ण तथ्य नहीं बता सकते, तो हम आखिरी वक्त में आपकी मदद नहीं कर सकते। आपके पास 4-5 घंटे हैं। अगर आपके पास कोई तथ्य है, तो सीधे उस पर आइए। दोषियों की फांसी पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब अंजाम तक पहुंच रहा है। हम फांसी पर रोक नहीं लगा सकते।