बाबा रामदेव को चेतावनी, हुआ मुकदमा दर्ज: रामदेव की कोरोना दवा राजस्थान में बिकती नजर आई तो बाबा जेल में होगा

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जयपुर। योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। यह मांग राजस्थान के चिकित्सा और स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने बुधवार को की। उन्होंने कहा कि महामारी से लडऩे का काम हम भारत सरकार के साथ मिलकर कर रहे हैं। पूरा देश इस महामारी से लड़ रहा है। ऐसे में इस तरह के प्रयोग अपराध की श्रेणी में आते हैं। इन लोगों को अपराध के दायरे में शामिल करते हुए, इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। शर्मा ने कहा कि अगर राजस्थान में कहीं यह दवाई बिकती नजर आई तो उसी दिन बाबा रामदेव जेल में होगा।
बाबा रामेदव पर हुआ मुकदम दर्ज
वहीं दूसरी ओर बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत में योग गुरु बाबा रामदेव एवं पतंजलि संस्था के अध्यक्ष बालकृष्ण के खिलाफ एक आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई है। आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस की दवा ईजाद करने का झूठा दावा कर उन्होंने लाखों लोगों की जान को खतरे में डाला है।
मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर थाना अंतर्गत भीखनपुर गांव निवासी शी तमन्ना हाशमी ने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मुकेश कुमार की अदालत में शिकायत दर्ज कराई है। बाबा रामदेव एवं बालकृष्ण के खिलाफ भादवि की धारा 420, 120 बी, 270, 504 एवं 34 के तहत मामला दर्ज करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
दवा के मामले में कोई स्वीकृति नहीं ली- चिकित्सा मंत्री
मंत्री शर्मा ने कहा कि बाबा रामदेव ने कोराना दवा बनाने के मामले में मुझसे कोई स्वीकृति नहीं ली गई। अभी आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल 2020 को गजट नोटिफिकेशन के जरिए एक अधिसूचना जारी की है। ड्रग और कॉस्मेटिक एक्ट के तहत उन्होंने 9 पॉइंट दिए हैं।
कोई भी अगर क्लीनिकल ट्रायल करना चाहता है तो उसे एडवाजरी कमेटी के मुताबिक या आईसीएमआर की गाइडलाइन को फॉलो करते हुए करना चाहिए। इसमें कई पॉइंट्स जारी किए गए हैं। मुझे नहीं लगता कि किसी स्वीकृति के बाद ये क्लीनिकल ट्रायल हुआ है। न भारत सरकार और न ही राज्य सरकार। जो पूरी तरह से गैरकानूनी है। ये कोई मार्केटिंग करने का टाइम नहीं है।
शर्मा ने पूछा- कोई मर गया तो कौन जिम्मेदार होगा?
मंत्री शर्मा ने कहा, जिस महामारी से दुनियाभर में लोग प्रभावित हैं। इलाज नहीं ढूंढ पा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के पास भी वैक्सीन नहीं है। आईसीएमआर के पास कोई दवा नहीं है। ऐसे में बिना सरकार की परमिशन और बिना प्रोटोकॉल को फॉलो किए कोई भी क्लीनिकल ट्रायल करता है।
फिर उस दवा को जारी कर रहे हो, ये अपराध है। भारत सरकार को इन अपराधियों को इसकी सजा देनी चाहिए। मजाक बना दिया है। कल अगर कोई मर गया, कौन जिम्मेदार होगा। जहां तक निम्स (जयपुर) का सवाल है, हमने इंस्टीट्यूश्नल क्वारैंटाइन के लिए कुछ दिन लोगों को रखा था। जिनका पता नहीं था कि वो पॉजिटिव हैं या नहीं, उनका क्लीनिकल ट्रायल कहां से हो गया।
वहां व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी, इसलिए दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया। हमारे लोग रुटीन में 7 दिन में ठीक हो जाते हैं। ये कहना कि दवा से लोग 7 दिन में ठीक हो जाएंगे, ये सिर्फ मार्केटिंग का काम है। इस तरह के प्रयोगअपराध की श्रेणी में आते हैं।
मरीजों पर दवा का ट्रायल करने का दावा
मंगलवार को बाबा रामदेव ने कोरोनिल नाम से आयुर्वेद टैबलेट लॉन्च की थी। हालांकि, साढ़े 5 घंटे बाद ही केंद्र सरकार ने इसके प्रचार पर रोक लगा दी। सरकार ने कहा कि दवा की वैज्ञानिक जांच नहीं हुई है। आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद से दवा के लाइसेंस समेत पूरा ब्योरा मांगा है।
इस दवा को पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (निम्स) यूनिवर्सिटी, जयपुर ने मिलकर तैयार किया है। सबसे अहम बात सामने आई कि महज ढाई माह के वक्त में इस दवा को तैयार कर लॉन्च किया गया।
जयपुर में अप्रैल की शुरुआत में पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम पहुंची थी। इसके बाद निम्स में चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर से मुलाकात कर मरीजों का हाल जाना गया। इस बीमारी पर रिसर्च शुरू हुआ। इसके बाद क्लीनिकल केस ट्रायल के लिए 280 मरीजों को चुना गया था। हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ में संवाददाताओं से रामदेव ने कहा, ‘‘यह दवाई शत प्रतिशत (कोविड-19) मरीजों को फायदा पहुंचा रही है। 100 मरीजों पर नियंत्रित क्लिनिकल ट्रायल किया गया, जिसमें तीन दिन के अंदर 69 प्रतिशत और चार दिन के अंदर शत प्रतिशत मरीज ठीक हो गये और उनकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई।” वहीं, फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल के फेफड़ा रोग विभाग के प्रमुख डॉ रवि शंकर झा ने कहा कि शरीर क्रिया विज्ञान के अनुसार, यह बिल्कुल असंभव है कि यहां कोई दवा शरीर से वायरस को पांच से सात दिन में पूरी तरह समाप्त कर सकती है।