केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोला

आज 7830 रेलकर्मचारियों ने किये संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर
कोटा।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्प्लाइज यूनियन के तत्वावधान में अखिल भारतीय स्तर पर 1 जून से 6 जून तक पूरे देश में रेल कर्मचारी जागरूकता सप्ताह के माध्यम से यूनियन कार्यकर्ता रेल कर्मियों से मेन-टू-मेन मिलकर सरकार द्वारा करोना वायरस महामारी की आड़ में मजदूर विरोधी फैसलों का पर्दाफाश करेंगे एवं 8 जून को पूरे देश में रेल का कर्मचारी सरकार के महंगाई भत्ते एवं महंगाई राहत फ्रीज करने जैसे निर्णय के विरुद्ध मांग दिवस के रूप में भारत सरकार को चेतावनी देंगे।
वेस्ट सेंट्रल रेलवे एंप्लाइज यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि जागरूकता सप्ताह में कोटाए जबलपुर व भोपाल के 7830 रेलकर्मचारियों ने रेल श्रमिक याचिका पर हस्ताक्षर कर आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी निभायेगें।
जागरूकता सप्ताह में कोटा मंडल तुगलकाबाद, भरतपुर, बयाना, गंगापुर सिटी, सवाईमाधोपुर, बांरा, बूंदी, रामगंजमंडी, भवानीमंडी, विक्रमगढ़ आलोट, शामगढ तथा कोटा प्रॉपर के 2840 रेलकर्मचारियों ने रेल श्रमिक याचिका पर हस्ताक्षर किये। तथा भोपाल मंडल के 2435 रेलकर्मचारियों तथा जबलपुर के 2555 रेलकर्मचारियों ने हस्ताक्षर कर केन्द्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ते फ्रीज करने के संबंध में चेतावनी दी है।
गालव ने बताया कि केंद्र सरकार ने कोरोणा वायरस महामारी के दौरान कई मजदूर विरोधी निर्णय लिए हैं। केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता डेढ़ साल के लिए फ्रिज कर दिया गया। जब सरकार महंगाई पर अंकुश नहीं लगा सकती तब उसे कर्मचारियों के महंगाई राहत और मंगाई भत्ते को रोकने का निर्णय नहीं लेना चाहिए था। आज सरकारी कर्मचारियों ने ही फ्रंट लाइन में रहकर कोरोना महामारी के दौरान आमजन की रक्षार्थ और सेवार्थ काम किया है। पारितोषिक देने की बजाय उनका महंगाई भत्ता रोकना अमानवीय निर्णय है। इसी प्रकार श्रम कानूनों को और ज्यादा लचीला बनाया जा रहा है जबकि उद्योगपतियों के पक्ष में नए कानूनी ईजाद किए जा रहे हैं। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की तैयारी की जा रही है। यूनियन इसका घोर विरोध करते हुए 8 जून को पूरे देश में सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध दिवस मनाया जाएगा।