अर्चना मीना बनी स्वावलंबी भारत अभियान की अखिल भारतीय सह-समन्वयक

नए तरीके से तय करनी होगी रोजगार आधारित शिक्षा की परिभाषा – अर्चना मीना

स्वाभिमान, स्वनिर्माण व स्वरोजगार से ही बनेगा स्वावलंबी भारत – अर्चना मीना

सवाई माधोपुर निवासी स्वदेशी जागरण मंच जयपुर प्रांत की महिला कार्यप्रमुख एवं राष्ट्रीय परिषद सदस्य अर्चना मीना को केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा स्वावलंबी भारत अभियान की अखिल भारतीय सह-समन्वयक नियुक्त किया गया है।
इस नियुक्ति पर अर्चना मीना ने प्रांत व केन्द्रीय पदाधिकारियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि मुझे ऐसे अभियान का दायित्व प्रदान किया गया है जिसमें देश के भविष्य का कल्याण छिपा है।
स्वावलंबी भारत अभियान के बारे जानकारी देते हुए अर्चना ने बताया कि हमारा भारतवर्ष युवा शक्ति का देश है। उनकी शक्ति को पहचान कर हम देश के उत्थान में उसका सदुपयोग कर सकते हैं। हमें रोजगार के प्रति बनी हुई अवधारणा को बदलना होगा और रोजगार की याचना करने वाला नहीं रोजगार का निर्माण करने वाला बनना होगा। यही उद्देश्य ले कर स्वदेशी जागरण मंच के छत्र तले अस्तित्व जन्मा है “स्वावलंबी भारत अभियान” का। इस अभियान के प्रमुख उद्देश्यों में युवाओं में उद्यम, रोजगार एवं अर्थ सृजन को एक देशव्यापी अभियान के तौर पर जन आंदोलन का रूप देना,  बेरोजगार युवाओं एवं विभिन्न उद्योगों के मध्य समन्वयन का सेतु बनाना, कृषि क्षेत्र में सहकारिता जैसे प्रयोगों को बढ़ावा देना, विभिन्न उद्यमों के प्रशिक्षण, कौशल विकास आदि के प्रशिक्षण केंद्रों की सुलभता, कृषि के प्रति उदासीनता को समाप्त करना और कृषि उत्पादन व उससे होने वाली आय को बढ़ाने के प्रयास करना आदि शामिल हैं। यह स्वावलंबी अभियान रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा। नए लघु उद्योग या बड़े स्तर के स्टार्टअप सहकारिता पर आधारित सम्मिलित प्रयास, प्रोत्साहन व सहयोग इसी अभियान के तहत होंगे।

READ MORE: अखिल भारतीय वैश्य महासम्मेलन की ओर से ‘किचन क्विन कॉन्टेस्ट’ 25 से

अर्चना ने बताया कि आज देश की दो-तिहाई जनसंख्या की उम्र 35 साल से कम है और यह 36 प्रतिशत से अधिक 15 से 35 वर्ष के आयु वर्ग में है। किंतु देश की प्रगति के आगे व्यवधान यह है की युवा भारत अधिकांशतः उन 6 से 7 प्रतिशत सरकारी, अर्ध सरकारी व प्राइवेट संगठित क्षेत्र की नौकरियों की ओर देख रहा है जो सबके लिए संभव नहीं है। युवा आबादी किसी भी देश के लिए वह संसाधन है जिसका कोई विकल्प नहीं। किन्तु इस क्षमता का पूर्ण रूप से उपयोग करने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में युवाओं के उत्साह को सही मार्ग दिखाना होगा। यह मार्ग रोजगार सृजन के द्वारा ही सुनिश्चित किया जा सकता है। वर्तमान परिपेक्ष्य में रोजगार सृजन देश के समक्ष खड़ी सबसे बड़ी चुनौती है और यह बात विभिन्न सर्वेक्षणों, राजनीतिक दलों के घोषणा पत्रों, मीडिया, समाचार पत्रों, वार्ताओं व नगर, गांव, देहात से मिलती जानकारियों के द्वारा प्रमाणिक है।
अर्चना मीना ने बताया कि आज हमारे देश में लगभग 80 प्रतिशत लोग कृषि, लघु-कुटीर उद्योगों से अपना रोजगार पाते हैं। किन्तु सामान्य तौर पर युवा सरकारी एवं बड़ी कंपनी की नौकरियों को ही सफलता का मापदंड मानते हैं। अतः आवश्यकता यह है कि हम रोजगार और रोजगार आधारित शिक्षा दोनों की परिभाषा नए तरीके से तय करें। तभी हम इस समस्या का एक सही समाधान ढूंढ पाएंगे। सरकारी तंत्र की उदासीनता, नए उद्यमों या स्वरोजगार शुरू करने में आने वाली कठिनाइयां, सामाजिक व पारिवारिक सोच का स्वरोजगार के अनुकूल ना होना भी बेरोजगारी मुक्त भारत की यात्रा के गति अवरोधक हैं जिन से मुक्त होने की आवश्यकता है। प्रत्येक जिले के स्थानीय संसाधनों, स्थानीय रोजगार के अवसर युवा शक्ति और उनके लिए मददगार साबित होने वाली सरकारी योजनाएं, शिक्षा, तकनीकी एवं औद्योगिक केंद्रों के मध्य समन्वय करके रोजगार सृजन में उनका उपयोग किया जाएगा, ताकि ग्राम स्तर पर ग्राम उद्योग को बढ़ावा मिले। वही एक माध्यम होगा जिससे ग्रामीण युवाओं का शहरों की ओर पलायन रोका जा सकेगा। इस पलायन के रुकने से ग्रामीण क्षेत्रों में विकास तो होगा ही साथ में जीवन यापन के बेहतर अवसर युवाओं को उपलब्ध हो सकेंगे।
अर्चना ने बताया कि छोटे स्तर पर ऐसे अनेक कार्य हमारी समाज की धुरी हैं जिनके बिना हमारी सामाजिक व्यवस्था नहीं चल सकती। इन कार्यों के माध्यम से अधिकांश लोग अपना जीवन यापन करते हैं। इसमें रेहड़ी, खोमचा, नाई, धोबी, टैक्सी-ऑटो ड्राइवर जैसे अनेक कार्य हैं जो समाज के हृदय के लिए रक्त संचार का काम करते हैं। इन सभी कार्यों में भी यदि कोई युवा अपना पुश्तैनी कार्य करना चाहता है या कोई नया कार्य सीखना चाहता है तो उसको सहयोग प्रदान कर रोजगार के नए से नए अवसर प्रदान किए जाएंगे। विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के नीति आयोग, राज्यों के आयोग से चर्चा करके रोजगार सृजन की योजनाओं की समीक्षा करवाने और उन्हें शीघ्र लागू करवाने में भी स्वावलंबी भारत अभियान सहायक बनेगा। यह अभियान इस बात का भी ध्यान रखेगा कि युवा केवल अपने रोजगार तक ही नहीं बल्कि देश के भीतर अन्य युवाओं को रोजगार के संसाधन उपलब्ध करवाने और आर्थिक उन्नति के पथ पर उन्हें आगे अपने साथ बढ़ाने में सम्मिलित योगदान करें। देश की उन्नति कभी एक से नहीं होती बल्कि इसमें समस्त युवाओं को एक साथ मिल कर सम्मिलित प्रयास से बड़े कदम उठाने होंगे। यह अभियान सहकारिता का संस्कार दे कर युवाओं में अपने परंपरागत कार्य और उद्योग धंधे के लिए एक विशेष प्रकार का भाव उत्पन्न करना चाहता है, ताकि एक युवा अनेक युवाओं को काम देने का कार्य कर सकें।