महिला और बाल अपराध रोकथाम के लिये चलेगा जागरूकता अभियान

महिला एवं बाल अपराधों की रोकथाम जागरूकता के लिए अभियान के संबंध में आयोजित पत्रकार वार्ता में जानकारी देते कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक।

कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने मीडिया ब्रीफिंग में दी जानकारी
सवाई माधोपुर।
महिलाओं और बालक-बालिकाओं के प्रति अपराधों की रोकथाम के लिये विभिन्न सरकारी ऐजेंसियों और एनजीओ की मदद से जिले में व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जायेगा जिसमें महिला कार्मिकों की मुख्य भूमिका रहेगी। इस अभियान की मीडिया को जानकारी देने, उनसे सुझाव और सहयोग मांगने के लिये सोमवार को कलेक्टर नन्नूमल पहाडिया और पुलिस अधीक्षक सुधीर चौधरी ने कलेक्ट्रेट में पत्रकारों के साथ बैठक की। बैठक में कोराना जागरूकता के लिये संचालित किये जा रहे ‘‘नो मास्क-नो एंट्री’’ जन आंदोलन को सफल बनाने के लिये भी मीडिया से सहयोग मांगा गया।
जिला कलेक्टर ने बताया कि स्कूली बालक-बालिकाओं को इस अभियान में जागरूक किया जायेगा। बालिकाओं को एएनएम, आशा सहयोगिनी, महिला कांस्टेबल, महिला अध्यापक पॉस्को एक्ट के प्रावधान के बारे में बतायेगी। किसी भी प्रकार के अपराध पर हैल्पलाइन 1098 या पुलिस थाने को फोन करने और माता-पिता को बेझिझक घटना की जानकारी देने के लिये प्रोत्साहित किया जायेगा। लडकों को भी इसी प्रकार पॉक्सो एक्ट के बारे में जागरूक किया जायेगा । साथ ही बताया जायेगा कि ऐसे प्रकरण में किसी ऐसे व्यक्ति जो बाद में अपराधी या विधि से संघर्षरत बालक घोषित हो गया, को पैसा देना, बाइक देना, लिफ्ट देना , अपना मोबाइल यूज करने देना आपका कैरियर बर्बाद कर सकता है। सभी विद्यालय, पुलिस थानों को सक्रिय कर कुछ ग्राम पंचायतों का क्लस्टर बनाया जायेगा। बालिकाओं को महिला अधिकारिता विभाग, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग के समन्वय से जागरूक किया जायेगा।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बच्चों को समझाया जायेगा कि अपराधी को सजा मिलनी ही चाहिये। इसके लिये आपको सही समय पर अभिभावक या पुलिस को जानकारी देनी चाहिये। कई बार पीडित बच्चे अपने आप को अकेला महसूस करते हैं, ऐसी घटना के लिये अपने को ही जिम्मेदार मानना शुरू कर देते हैं । घटना की जानकारी समय पर नहीं देने के कारण बाद में अनुसंधान करने तथा न्याय दिलाने में बाधा आती है।
पुलिस अधीक्षक ने मीडिया के माध्यम से जिलावासियों से अपील की है कि भूमि सम्बंधी या मारपीट सम्बंधी मामलों में महिला अपराध सम्बंधी धाराओं में एफआईआर न करवाये। इससे मामला कमजोर ही होता है। झूंठा मामला दर्ज करवाने पर 6 माह की जेल का प्रावधान है।
बाल अधिकारिता सहायक निदेशक श्रद्धा गौतम ने बताया कि बच्चों के साथ ही कई अभिभावकों को भी अभी पूरी कानूनी जानकारी नहीं है। बच्चों को बैड टच और गुड टच के बारे में समझाना होगा। बच्चों को बतायें कि जब कोई आपको इस तरह से से टच करे कि उन्हें बुरा लगे या असहज महसूस करें तो यह बैड टच है। कोई भी परिचित या अपरिचित बच्चे के साथ गलत हरकत करे और बोले कि किसी को बताना मत ये और भी बडा अपराध है। बच्चों को यह भी बताएं कि अगर मॉं के अतिरिक्त कोई भी आपके कपड़े से छेडछाड करता है तो यह गलत है। बच्चों को बताएं कि जिस तरह आप जानवर को टच करते हैं और उसे बुरा लगता है तो वे आपको काटता है या चिल्लाता है तो आपको भी किसी के टच करने पर विरोध करना है।
2020 में 37 चालान पेश- पुलिस अधीक्षक ने बताया कि पुलिस पॉस्को एक्ट में दर्ज प्रत्येक प्रकरण को बडे चैलेंज के रूप में लेती है। 2019 में जिले में इस एक्ट के अन्तर्गत 101 प्रकरण दर्ज हुये। अनुसंधान के बाद इनमें से 73 प्रकरणों में चालान पेश किया गया, 26 प्रकरण झॅंूठें पाये जाने पर एफआर लगा दी गई तथा 2 प्रकरण लम्बित हैं। इसी प्रकार 2020 में  दर्ज 84 प्रकरणों में से 37 में चालान पेश हुये, 12 में एफआर दी गई तथा शेष 35 में अनुसंधान चल रहा है।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक गोपाल सिंह कानावत, एसडीएम कपिल शर्मा, उप अधीधक ओमप्रकाश सोलंकी, सहायक निदेशक, अभियोजन, मंजू दुबे, आरसीएचओ कमलेश मीणा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम बैरवा और मंजूलता, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता के सहायक निदेशक कालूराम मीणा और पत्रकारों ने इस अभियान के सफल संचालन के लिये उपयोगी सुझाव दिये।