कोरोना के प्रति सजग रहें: ऐसा नहीं सोचें कि एक बार कोरोना हो गया अब नहीं होगा, पहले संक्रमित हो चुके मरीज ज्यादा अलर्ट रहें, दस दिन तक संक्रमण फैल सकता है

badhtikalam.com कोरोना वायरस संक्रमण तेजी से फैल रहा है। फिर भी लोग लापरवाही बरत रहे है। पहले से संक्रमित लोगों की धारणा बन गई है कि एक बार कोरोना हो गया तो दोबारा नहीं होगा। शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बन जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है। एसएमएस अस्पताल जयपुर में मरीजों का इलाज करते-करते डॉक्टर पहले संक्रमित फिर ठीक हो गए, लेकिन अब दोबारा संक्रमित हो गए। प्लास्टिक सर्जरी विभाग में सीनियर रेजिडेंट डॉ.सुश्रुत कालरा 18 मई को पॉजिटिव आने के बाद ठीक हो गए थे। लेकिन कुछ दिनों के बाद फीवर होने पर जांच कराने पर 9 अगस्त को दोबारा पॉजिटिव मिले। अब सिंतबर माह से अस्पताल में फिर से काम करने लगे है। डॉ.सुश्रुत क कहना है कि दोबारा से संक्रमित होने पर डरें नहीं सावधानी रखें। इसी तरह से एसएमएस में जनरल सर्जरी में डॉ.अमित यादव, एनेस्थेसिया में डॉ. नवलीन और मेडिसन में डॉ.पारस जांच में दोबारा से संक्रमित मिले हैं। इसके अलावा जोधपुर में तीन केसेज में दोबारा संक्रमित पाए गए हैं। इन मामलों के सामने आने के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिर कोरोना से ठीक हुए मरीजों के शरीर में जब पर्याप्त एंटीबॉडीज थी तो वे दोबारा कैसे संक्रमित हो गए? इसे लेकर डॉक्टरों का कहना है कि ये दो अलग चीजें हैं, संक्रमण और बीमारी। संक्रमण तब हो सकता है जब वायरस शरीर में प्रवेश कर जाता है और बीमारी तब होती है जब वायरस मल्टीप्लाई होना शुरू हो जाता है। जयपुर, जोधपुर समेत दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, यूपी और वेस्ट बंगाल में दोबारा संक्रमण के मामले आ रहे है। अतिरिक्त निदेशक (ग्रामीण स्वास्थ्य) डॉ. रवि शर्मा कहते हैं कि पहले से संक्रमित दोबारा से पॉजिटिव आने के जयपुर, जोधपुर में मामले मिल रहे है। डरें नहीं सावधानी रखें। एक बार पॉजिटिव आने पर जांच में दोबारा संक्रमित होने पर डॉक्टर या सीएमएचओ को जानकारी दें।

एक्सपर्ट्स बता रहे हैं- बुजुर्ग व गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों को फिर संक्रमण का डर ज्यादा, दुनिया में कोई शोध ऐसा नहीं कहता कि निगेटिव आकर हम सुरक्षित हैं…30 दिन सावधानी रखें

एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सुधीर भंडारी का कहना है कि गले में डेड वायरस लंबे समय तक रहने से टेस्ट पॉजिटिव दे सकते हैं। आरटी-पीसीआर की सेंस्टेविटी 65 से 70 फीसदी होती है। सीटी-स्कैन से लंग्स की सही तस्वीर आने में महीनों लग जाते हैं। सीटी-स्कैन देखकर घबराएं नहींं। डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहें। अभी तक ऐसा कोई शोध सामने नहीं आया, जिसमें कहा गया हो कि ठीक हुए मरीजों को फिर कोरोना संक्रमण नहीं होगा। खुद से ऐसी धारणा न बनाएं। पहले संक्रमित हो चुके मरीजों को तो और भी ज्यादा संभलने की जरूरत है। देशभर में अब ऐसे मरीज भी सामने आ रहे हैं, जो ठीक होने के बाद संक्रमित हुए हैं। एसएमएस अस्पताल के मेडिसन के डॉ.रमन शर्मा व डॉ.अजीत सिंंह का कहना है कि शुरुआत में वायरस गले में रहता है। उसके बाद कुछ लोगों में फेफड़ों में चला जाता है। जब निमोनिया ठीक होने लगता है, तो मरीज में लक्षण नहीं रहते। लेकिन लक्षण खांसी के साथ गले में आ जाते है, जो डेड वायरस होता है। एक बार संक्रमण होने के 10 दिन तक ही संक्रमण फैला सकता है। अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ.वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोरोना संक्रमितों को 28 दिन तक निगरानी रखने की आवश्यकता है। इस अवधि में शरीर के अंदर वायरस के खिलाफ एंटी बॉडीज तैयार हो जाएंगी। जो लोग इंटरनल इम्युनिटी पर निर्भर हैं, उनके लिए खतरा बना रहता है। बुजुर्ग व बीपी-शुगर, सांस व अस्थमा से ग्रस्त मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता इतनी मजबूत नहीं होती कि एंडीबॉडीज के भरोसे रहा जा सके।

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