चीन की लापरवाही: दुष्परिणाम पूरी दुनिया भुगत रही

कोरोना वायरस पर विशेष
आज चीन की लापरवाही का दुष्परिणाम पूरी दुनिया भुगत रही है। दुनिया का कोई हिस्सा ऐसा नहीं जहां कोरोना का संक्रमण फैलने का अंदेशा न हो। कोरोना वायरस ने जब चीन से बाहर अपना असर दिखाना शुरू किया था तब भारत में उसके तीन मरीज ही सामने आए थे। केरल के ये तीनों मरीज ठीक होकर घर चले गए, लेकिन यकायक करीब चालीस और लोग कोरोना से ग्रसित पाए गए। इनमें से 16 इटली से आए पर्यटक हैं। फिलहाल इस वायरस से ग्रसित लोगों की संख्या 34 पहुंच गई है। करीब 30 हजार लोग इस अंदेशे के चलते निगरानी में हैं कि कहीं वे कोरोना वायरस से ग्रस्त तो नहीं?
कोरोना वायरस तीस से अधिक आयु वालों पर अधिक असर कर रहा
कोरोना वायरस को लेकर जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार यह तीस से अधिक आयु वालों पर अधिक असर कर रहा है। इसके अलावा यह माना जा रहा है कि गर्मी बढऩे के साथ वह निष्प्रभावी होगा। भारत में गर्मियां शुरू होने वाली हैं। होली के बाद उत्तर भारत में तापमान में तेजी से वृद्धि होने का अनुमान है। इसके बावजूद सतर्कता तो बरतनी ही होगी, क्योंकि एक बड़ी संख्या में विदेशी भारत आते हैं। इनमें तमाम यूरोप से आते हैं जहां अभी मौसम सर्द है। तमाम भारतीय भी यूरोप और दुनिया के अन्य देशों की यात्रा करते रहते हैं।
बाहर से भारत आने वाले हर यात्री की जांच हो
यह आवश्यक है कि बाहर से भारत आने वाले हर यात्री की जांच हो। यह अच्छा है कि यह काम शुरू कर दिया गया हैए लेकिन इसे और पहले शुरू किया जाना था। यदि समय रहते बाहर से आने वाले हर व्यक्ति की जांच-पड़ताल की जाती तो शायद इटली के उन पर्यटकों की पहचान पहले ही हो जाती जो कोरोना से ग्रसित पाए गए। इसी के साथ उन भारतीयों की भी निगरानी की जा सकती थी जो चीन के अलावा अन्य किसी देश से लौटे थे। कम से कम अब तो यह सुनिश्चित किया ही जाना चाहिए कि किसी तरह की गफलत न होने पाए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा- कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी और कोशिश करने की जरूरत
ध्यान रहे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह चेतावनी दी है कि कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी और कोशिश करने की जरूरत है। इस संगठन के अनुसार कोरोना वायरस फैलने का खतरा अभी भी बरकरार है।
कोरोना वायरस से निपटने के लिए भारत सरकार मुस्तैद
हालांकि भारत सरकार मुस्तैद है और वह राज्य सरकारों के साथ मिलकर इसके लिए हरसंभव कोशिश कर रही है कि कोरोना वायरस का प्रकोप और न बढऩे पाए, लेकिन इसी के साथ यह भी देखने की जरूरत है कि किसी तरह की अफरातफरी न फैलने पाए। नि:संदेह लोगों को जागरूक होने और सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि खौफ का माहौल न बनने पाए।
इसके पहले सार्स वायरस और इबोला ने भी कहर बरपाया था
यह पहली बार नहीं जब दुनिया किसी संक्रामक बीमारी की चपेट में आई हो। इसके पहले सार्स वायरस ने इसी तरह कहर बरपाया था और कुछ समय पहले इबोला ने भी। इससे इन्कार नहीं कि कोरोना वायरस के चलते लोग कहीं अधिक आशंकित हैं। इस आशंका के बावजूद इस वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है, यदि साफ.-सफाई का ध्यान रखने के साथ भीड़ का हिस्सा बनने से बचा जाए।
कोरोना वायरस केवल मानव स्वास्थ्य के लिए ही खतरा नहीं है विश्व अर्थव्यवस्था को भी चोट पहुंचा रहा
जाहिर है कि सेहत को लेकर भी सतर्क रहने की जरूरत बढ़ गई है। कोरोना वायरस केवल मानव स्वास्थ्य के लिए ही खतरा बनकर नहीं उभरा है। वह विश्व अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचा रहा है। जहां चीन जैसी आर्थिक महाशक्ति की कारोबारी गतिविधियां करीब-करीब ठप हैं वहीं दुनिया के दूसरे देश भी प्रभावित हो रहे हैं। दुनिया भर में आवाजाही कम हो रही है, क्योंकि जरूरी होने पर ही यात्रा करने की सलाह दी जा रही है। चूंकि पर्यटन थम सा गया है इसलिए तमाम एयरलाइंस भी घाटे का सामना कर रही हैं। दुनिया भर में हर तरह के आयोजन स्थगित किए जा रहे हैं। इनमें उद्योग, व्यापार, शिक्षा, मनोरंजन से लेकर खेल से जुड़े आयोजन भी हैं।
दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट जारी, चीन के कच्चे माल पर दुनिया के कई देश निर्भर हैं
चीन के कच्चे माल अथवा उपकरणों पर दुनिया के अन्य देश निर्भर हैं इसलिए वे भी संकट का सामना कर रहे हैं। इसी कारण दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है। चीनी उत्पादों का आयात रोक दिए जाने से भारत में भी कई उद्योग और खासकर फार्मा एवं इलेक्ट्रानिक्स सेक्टर खासे प्रभावित हैं। यदि चीन से आने वाले कच्चे माल और उपकरणों का आयात लंबे समय तक बाधित रहता है तो देश में कई वस्तुओं की किल्लत हो सकती है।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से अपना कारोबार समेट सकती हैं

चीन दुनिया के कारखाने की हैसियत रखता है और वहां के हालात चिंताजनक हैं इसलिए यह माना जा रहा है कि तमाम बहुराष्ट्रीय कंपनियां वहां से अपना कारोबार समेट सकती हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि सार्स वायरस भी चीन की ही धरती से फैला था। यदि बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन से निकलती हैं तो यह भारत के लिए एक अवसर हो सकता है, लेकिन भारत की पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि भारतीय अर्थव्यवस्था चीन के आर्थिक हालात से कम से कम दुष्प्रभावित होने पाए। उसे यह भी देखना होगा कि औद्योगिक व्यापारिक गतिविधियों को गति मिले और बैंक कर्ज देने में आनाकानी न करें।
कोरोना वायरस से वैश्विक अर्थव्यवस्था को 347 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है
फिलहाल इसका आकलन जारी है कि कोरोना वायरस का कहर विश्व अर्थव्यवस्था को किस हद तक प्रभावित करेगा। एशियन डेवलपमेंट बैंक ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को 77 अरब डॉलर से लेकर 347 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है। नि:संदेह यह बहुत कुछ आगे के हालात पर निर्भर करेगा, फिर भी यह तो माना ही जा रहा है कि करीब ढाई-तीन सौ अरब डॉलर की क्षति हो सकती है।
कोरोना वायरस से जल्द छुटकारा मिलने के आसार कम हैं
चूंकि कोरोना वायरस का खौफ पूरी दुनिया के लिए संकट बन गया है और उससे जल्द छुटकारा मिलने के आसार कम ही हैं इसलिए सभी देशों को इसके लिए मिलकर सक्रिय होना चाहिए कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को कम से कम नुकसान हो। ऐसा तभी होगा जब संकट का लाभ उठाने की प्रवृत्ति से बचा जाएगा।