Covid-19 Omicron Variant: मुंबई में 1 दिसंबर से नहीं खुलेंगे स्कूल

कोरोना महामारी का खतरा एक बार फिर बढ़ गया है। दक्षिण अफ्रीका से निकला कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) अब 16 देशों में फैल चुका है। इसका ताजा शिकार जापान और ऑस्ट्रेलिया हुए हैं। यहां ओमिक्रॉन के पहले मामले की पुष्टि कर दी गई है। साथ ही बचाव के उपाय भी शुरू कर दिए गए हैं। अच्छी बात यह है कि भारत में अब तक Omicron का एक भी केस सामने नहीं आया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में यह जानकारी दी। हालांकि कर्नाटक से डराने वाली खबर आ रही है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका से यहां लौटे दो नागरिकों की कोरोना रिपोर्ट आ गई है। कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि हाल ही में दक्षिण अफ्रीका से लौटे दो लोगों में से एक का नमूना कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से अलग लग रहा है। उनके मुताबिक, यह एक 63 वर्षीय व्यक्ति है, और उसकी रिपोर्ट थोड़ी अलग है। यह डेल्टा वेरिएंट से अलग प्रतीत होता है। हम आईसीएमआर अधिकारियों के साथ चर्चा कर विस्तृत जानकारी पता कर रहे हैं।

मुंबई में अब 15 दिसंबर से खुलेंगे स्कूल

ओमिक्रॉन के खतरे के बीच मुंबई में पहली से सातवीं कक्षा तक स्कूल खोलने का फैसला 15 दिसंबर तक टाल दिया है। पहले ये कक्षाएं 1 दिसंबर से लगाई जानी थीं।

WHO ने ओमिक्रोन को बताया बहुत खतरनाक

इस बीच, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने चेतावनी जारी की है और ओमिक्रॉन को दुनिया के लिए बड़ा खतरा बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी चेतावनी के मुताबिक, शुरुआती सबूतों के आधार पर कहा जा रहा सकता है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट से जोखिम ‘बहुत अधिक’ है। यह ‘गंभीर परिणामों’ के साथ पूरी दुनिया में फैल सकता है। संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने सदस्य राज्यों को जारी एक तकनीकी पत्र में कहा कि इस वेरिएंट को लेकर काफी अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।

Omicron को लेकर क्या कहते हैं दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर

ओमिक्रॉन को लेकर दक्षिण अफ्रीका के उन डॉक्टरों के अनुभव भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने अपने यहां इसके मरीजों का इलाज किया। ऐसी जानकारी सार्वजनिक की जा रही है ताकि दुनियाभर के डॉक्टरों को इसका फायदा मिल सके। दक्षिण अफ्रीकी स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, ओमिक्रॉन से जुड़े बहुत कम मरीज अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। हालांकि वायरस का यह रूप अत्यधिक ट्रांसमिसिबल है और रोगियों को हल्की बीमारी के साथ भी अत्यधिक थकान का अनुभव हो रहा है।

Omicron के लक्षण

  • डॉक्टर्स का साफ कहना है कि इस नए वेरिएंट को हल्के में बिल्कुल नहीं लेना चाहिए। ये डेल्टा वेरिएंट से बिल्कुल अलग है और उससे ज्यादा खतरनाक भी है।
  • ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज डेल्टा स्ट्रेन से पीड़ित लोगों में बहुत अलग लक्षण दिखा रहे हैं।
  • ओमिक्रॉन से पीड़ित रोगियों को थकान, सिर और शरीर में दर्द और कभी-कभी गले में खराश और खांसी की शिकायत हो रही है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन नए उत्परिवर्तन का विश्लेषण कर रहा है और कहा है कि यह कहना जल्दबाजी होगी कि यह कितना संक्रामक और गंभीर है।

दुनिया के तमाम देशों में तेजी से बढ़ते कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता बढ़ा दी है। सबसे पहले साउथ अफ्रीका में देखे गए इस वैरिएंट में 30 से अधिक म्यूटेशनों के कारण इसे बेहद संक्रामक माना जा रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी भी बहुत कुछ है जो हम ओमिक्रॉन वैरिएंट के बारे में नहीं जानते हैं, हालांकि यह जरूर माना जा रहा है कि यह कोरोना का अब तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट हो सकता है। इसके अलावा जिन लोगों का टीकाकरण नहीं हो सका है यह उनके लिए गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी बना हुआ कि ओमिक्रॉन वैरिएंट, बच्चों को किस तरह से प्रभावित कर सकता है?

दुनियाभर में भले ही कोविड टीकाकरण की रफ्तार काफी तेज है हालांकि बच्चों को अब भी वैक्सीन न मिल पाना बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। इन सबके बीच कोरोना के इस घातक वैरिएंट ने समस्याओं को और बढ़ा दिया है। आइए आगे की स्लाइडों में विशेषज्ञ से जानते हैं कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से बच्चों को कितना खतरा है और उन्हें इससे कैसे सुरक्षित किया जा सकता है?

बच्चों में ओमिक्रॉन का खतरा
अमर उजाला से बातचीत में लखनऊ स्थिति एक अस्पताल में इंटेसिव केयर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ अतुल भारद्वाज बताते हैं, कोरोना के इस नए खतरे के बारे में अभी इतने अध्ययन नहीं हुए हैं जिसके आधार पर आयुवर्ग से संबंधित खतरों के बारे में जाना जा सके। हां चूंकि इसे बेहद संक्रामक बताया जा रहा है ऐसे में जिन लोगों को टीकाकरण नहीं हुआ है उनमें संक्रमण का जोखिम निश्चित ही अधिक हो सकता है। बच्चों में भी संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है क्योंकि उनका अब तक टीकाकरण नहीं हो सका है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा के उपायों का पालन करना बहुत आवश्यक है। 

बच्चों में संक्रमण के मामले
नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज के अनुसार बच्चों में ओमिक्रॉन का खतरा लगातार बना हुआ है। दक्षिण अफ्रीका में कोरोना से संक्रमित 2 साल से कम उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने का दर करीब 10 फीसदी है। संस्थान में सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ वासीला जसत कहते हैं, आंकड़े बताते हैं कि कोरोना के इस वैरिएंट के शिकार देशों में शुरुआती चरणों की तुलना में इस बार बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या अधिक है। डेटन चिल्ड्रन हॉस्पिटल, ओहियो की एक रिपोर्ट में कहा गया है ओमिक्रॉन वैरिएंट बच्चों को अधिक शिकार बना सकता है। हालांकि बच्चों पर इस वैरिएंट के असर को विस्तार से जानने के लिए शोध अभी भी जारी है।

इस बारे में भी जान लीजिए
कोरोना के खतरे को लेकर कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि बच्चों को कोविड-19 का गंभीर असर नहीं होता है। चूंकि बच्चों को अक्सर सर्दी-जुकाम होता रहता है, इसलिए उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कोविड-19 के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने में ज्यादा एक्टिव हो सकती है। यह भी संभव है कि बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली वयस्कों की प्रतिरक्षा प्रणाली की तुलना में वायरस का अच्छे से मुकाबला कर सकती है। फिलहाल नए वैरिएंट्स के असर को जानने के लिए विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है। 

अगले महीने तक उपलब्ध हो सकती है बच्चों के लिए वैक्सीन
भारत में 12 साल तक के बच्चों के लिए जाइकोव-डी वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है। वहीं अमेरिका ने पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फाइजर को मंजूरी दी है। मीडिया से बातचीत में कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष डॉ एनके अरोड़ा बताते हैं कि कॉमरेडिटी वाले बच्चों के लिए टीकाकरण दिसंबर में शुरू होगा और उसके बाद स्वस्थ बच्चों के लिए वैक्सीन रोलआउट होगा। फिलहाल कोरोना के खतरे को देखते हुए बच्चों को सुरक्षित रखने के उपाय कराते रहने चाहिए।

बच्चों को कैसे रखें सुरक्षित?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर के पालन के बारे में बताना चाहिए। इसके लिए हाथों की साफ-सफाई, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क पहनने जैसे उपायों को पालन में लाते रहने की आदत डलाएं। बच्चों के लिए जैसे ही वैक्सीन उपलब्ध हो, बच्चों का टीकाकरण जरूर करा दे।