बिगबॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla Death) की मौत से हर कोई हैरान!

बिगबॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla Death) की मौत से हर कोई हैरान है. एक व्यक्ति जो 40 साल का होकर भी हर दिन दो से तीन घंटे जिम में रहता है और फिट रहने के लिए स्पेशल डाइट लेता है. जो ट्रेनर्स की देखरेख में खुद को फिट रखता है, उसे आखिर हार्ट अटैक कैसे आ सकता है? आज इन सवालों के जवाब समझने के लिए कुछ बातों पर देना जरूरी है. 

किसी भी उम्र में हो सकता है हार्ट अटैक

सिद्धार्थ 40 वर्ष की उम्र में भी बिल्कुल फिट दिखते थे और उन्होंने अपने एक्टिंग Career को ध्यान में रखते हुए शानदार बॉडी बनाई थी. इसके लिए वो जिम में कई घंटे बिताया करते थे. खुद को स्वस्थ और फिट रखने के लिए सिद्धार्थ विशेष डाइट लिया करते थे. उनमें अच्छा दिखने की चाहत थी और वो इसमें सफल भी रहे लेकिन इतनी कम उम्र में हार्ट अटैक (Heart Attack) से हुई उनकी मौत बताती है कि हार्ट अटैक किसी भी उम्र के व्यक्ति को अपना शिकार बना सकता है.

कम उम्र में हार्ट अटैक का कारण?

डॉक्टरों के मुताबिक अब 18 से 20 वर्ष के युवाओं को भी हार्ट अटैक आ जाता है. Cardiology Society of India के मुताबिक भारत में हर मिनट 35 से 50 वर्ष की उम्र के 4 लोगों को हार्ट अटैक आता है और भारत में हार्ट अटैक में मरने वाले लोगों में 25 प्रतिशत की उम्र 35 वर्ष से कम होती है. पहले हार्ट अटैक को बड़ी उम्र के लोगों को होने वाली बीमारी माना जाता था लेकिन अब युवा भी तेजी से इसका शिकार बन रहे हैं. वैसे तो हार्ट अटैक ज्यादातर उन युवाओं को आता है जो किसी भी तरह का व्यायाम नहीं करते और जिनकी दिनचर्या में शारीरिक गतिविधियां शामिल नहीं होती. लेकिन जो लोग अच्छा और फिट दिखने की चाहत में ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं या शरीर को एक विशेष आकार देने की जल्दबाजी में स्टेरॉइड्स का सेवन करते हैं उन्हें भी हार्ट अटैक आ सकता है.

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लगातार सिगरेट पीने से बढ़ा खतरा?

खासकर जो लोग High Intensity Exercise करते हैं उनके हृदय की गति अचानक तेज हो जाती है और इससे दिल का दौरा पड़ने का खतरा होता है. एक्सपर्ट मानते हैं कि हर रोज 20 मिनट का व्यायाम स्वस्थ रहने के लिए काफी होता है लेकिन कई लोग जरूरत से ज्यादा व्यायाम करते हैं. सिद्धार्थ शुक्ला भी हर रोज सुबह और शाम कई घंटे जिम किया करते थे और वो अपना जिम बिल्कुल मिस नहीं करते थे. कुछ लोग दावा करते हैं कि सिद्धार्थ शुक्ला एक Chain Smoker थे. यानी वो लगातार सिगरेट पीते थे. एक Reality Show में सिद्धार्थ ने खुद ये बात मानी थी कि उन्हें सिगरेट की लत रही है. हालांकि इसी Show में उन्होंने ये दावा भी किया था कि अब वो सिगरेट नहीं पीते. डॉक्टर्स मानते हैं कि सिगरेट पीने वालों को दिल का दौरा पड़ने का खतरा सिगरेट ना पीने वालों के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा होता है.

बॉडी बिल्डिंग की चाहत में स्टेरॉइड्स का प्रयोग

इसके अलावा जिम जाकर शरीर बनाने वाले कई लोग Anabolic Steroids का भी इस्तेमाल करते हैं. जिसका सीधा कनेक्शन दिल की बीमारियों से है. ऐसे स्टेरॉइड्स का कम मात्रा में इस्तेमाल भी हार्ट अटैक की वजह बन सकता है. ज्यादातर ऐसे स्टेरॉइड्स को इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचाया जाता है. कुछ एक्सपर्ट दावा करते हैं कि भारत में बॉडी बिल्डिंग करने वाले 40 से 50 प्रतिशत लोगों ने जीवन में कभी ना कभी स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल किया है. Associated Asia research Foundation की एक रिसर्च के मुताबिक भारत में जिम जाने वाले करीब 30 लाख लोग स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं. जिनमें से 73 प्रतिशत की उम्र 16 से 35 वर्ष के बीच है यानी ऐसे लोग फिटनेस को मेहनत से हासिल नहीं करते बल्कि उसे इंजेक्शन से अपने शरीर में पहुंचाते हैं.

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दबाव के बोझ तले दबे फिल्मी सितारे?

जब आप सुनते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री के किसी बड़े स्टार ने देखते ही देखते कुछ ही दिनों में शानदार बॉडी बना ली है या किसी विशेष रोल के लिए अपना वजन घटा लिया तो आपको लगता है कि ये इनकी मेहनत का परिणाम है. इसमें इनकी मेहनत होती भी है, लेकिन कई स्टार्स जल्दी से जल्दी शेप में आने के लिए स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल करते हैं. फिल्म और फैशन इंडस्ट्री में अच्छा दिखने का दबाव होता है इसके लिए लोग स्टेरॉइड्स लेते हैं, सप्लीमेंट्स भी लेते हैं और उन पर तनाव भी हावी रहता है. Instagram या दूसरे Social Media Apps पर आपको कितने लोग Follow करते हैं. इसका दबाव भी बना रहता है और कई बार ये सारे दबाव मिलकर किसी की जान पर भारी पड़ जाते हैं.

ज्यादा दबाव शरीर और मन दोनों के लिए खराब
इसके अलावा सवाल उठता है कि क्या सुशांत सिंह रातपूत की तरह सिद्धार्थ भी डिप्रेशन और Anxiety से जूझ रहे थे क्या? इस पर सिद्धार्थ शुक्ला के परिवार ने कहा है कि वो ना तो डिप्रेशन का शिकार थे और ना ही उन्हें Anxiety की समस्या थी लेकिन इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि फिल्म और फैशन इंडस्ट्री में लोगों को अक्सर ये दोनों ही समस्याएं हो जाती हैं. अच्छा दिखने की चाहत मन पर सबसे बड़ा बोझ बन जाती है. ये चाहत आपको स्ट्रेस भी दे सकती है. जरूरत से ज्यादा फिटनेस आपको अनफिट बना सकती है. शरीर और मन पर जरूरत से ज्यादा दबाव डालने पर दोनों को नुकसान पहुंच सकता है. अब आप खुद सोचिए कि क्या कामयाब होने की कीमत पर ये सारी कुर्बानियां सही हैं?

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क्या है इस समस्या का हल?
अब सवाल उठता है कि इस समस्या का हल क्या है? क्योंकि सफलता की चाहत भी जान ले सकती है और सफल ना होने की निराशा भी आपको तोड़ सकती है. तो इसका सीधा सा समाधान ये है कि आप जीवन को एक संन्यासी की तरह जिएं. यानी सफलता के लिए आगे जरूर बढ़ें लेकिन इसकी चाहत को अपने ऊपर हावी ना होने दें. एक संन्यासी दुनिया में होते हुए भी खुद को दुनियादारी से दूर रखता है. यानी आपको  Detachement की कला सीखनी होगी. आपको भौतिक चीजों पर आसक्ति रखना छोड़ना होगा लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि आप सबकुछ छोड़ छाड़ कर पहाड़ों पर चले जाएं या सच में संन्यास ले लें. बल्कि आपको संन्यासी की तरह सोचते हुए जीवन की चुनौतियों से किसी योद्धा की तरह लड़ना होगा. अंग्रेजी में इसे कहते हैं ‘Think Like A Monk, Fight Like A Warrior’. आप जीवन में इस विचार को अपनाकर देखिए, बड़ी से बड़ी निराशा आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी.