रविवार से भरतपुर के बयाना में होने वाली गुर्जर समाज की महापंचायत व आन्दोलन को रोकने के लिए गहलोत सरकार एक्टिव हो गई है। शनिवार को करौली के कलेक्टर सिद्वार्थ सिंहाग हिंडौन में गुर्जर नेता कर्नल बैंसला के निवास पर पहुंचे। माना जा रहा है कि कलेक्टर गहलोत सरकार का संदेश लेकर कर्नल बैंसला से मुलाकात करने पहुंचे थे। दोनों की बंद कमरे में लगभग आधा घंटे तक बातचीत हुई है। दरअसल, एमबीसी (मोस्ट बैकवर्ड कास्ट) को पांच प्रतिशत आरक्षण सहित अन्य कई मांगों को लेकर गुर्जर समाज की ओर से रविवार को बयाना के पीलूपुरा में महापंचायत बुलाई है। जिसको लेकर सरकार और प्रशासन तंत्र पूरी तरह मुस्तैद नजर आ रहा है। सरकार की ओर से इस बीच कई बार कर्नल बैंसला सहित आरक्षण आंदोलन संर्घष समिति के पदाधिकारियों व गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों से वार्ता करने कर आन्दोलन को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इसके चलते करौली जिला कलेक्टर सिंहाग शनिवार दोपहर फिर से कर्नल बैंसला के हिंडौन के वर्धमान नगर स्थित आवास पर पंहुचे। कलेक्टर के मुलाकात के बाद कर्नल बैंसला गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों में निकल गए। जिससे लोग कलेक्टर की कर्नल बैंसला से हुए वार्ता को बेनतीजा मान रहे है। इस दौरान जिला कलक्टर सिंहाग ने वार्ता के बारे में कोई खास जानकारी नही दी। वहीं कर्नल बैसला ने मीडिया को बताया कि अगर कोई हमारी समस्याओं का समाधान लेकर आता है तो हम उसका स्वागत करेंगे। इस दौरान तहसीलदार रामकरण मीणा व हल्का पटवारी भी कर्नल बैंसला के निवास पर रहे।
अधिकारियों से की चर्चा
इस दौरान जिला कलेक्टर कर्नल बैंसला से वार्ता के बाद उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पंहुचे। जंहा उपस्थित टोडाभीम उपखण्ड अधिकारी दुर्गा लाल मीणा, महिला व बाल विकास परियोजना के उप निदेंशक परभाती लाल अतिरिक्त पुलिस महा निरीक्षक पंजीयन जहसीलदार रामकरण मीणा आदि से क्षेत्र की शांति व्यव्स्था को लेकर व संभावित आन्दोलन को लेकर विस्तार से चर्चा की।
इसलिए है गुर्जर समाज में नाराजगी
उल्लेखनीय है कि लंबा चले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने गुर्जर सहित पांच जातियों रैबारी, रायका, गाड़िया लुहार और बंजारा जातियों को पांच फीसद आरक्षण दिया था। करीब डेढ़ दशक के आंदोलन के दौरान राज्य सरकार द्वारा दिया गया आरक्षण तीन बार कोर्ट में अटक गया। करीब डेढ़ साल पूर्व प्रदेश में सत्ता में आई अशोक गहलोत सरकार ने राज्य विधानसभा में एक संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा, जिसमें कहा गया कि विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल की गई जातियों का मामला संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए, लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से कोई कदम नहीं उठाए गए। इस कारण गुर्जर समाज नाराज है। यह है गुर्जर समाज की मांग -एमबीसी के पांच प्रतिशत आरक्षण को केन्द्र की नौवीं अनुसूची में शामिल करने, बैकलॉग की भर्तियां निकालने, प्रक्रियाधीन भर्तियां एमबीसी कोटे से भर्ती हुए 1200 कर्मचारियों को नियमित करने, शहीदों के परिजनों को सरकार के वायदे के अनुसार मुआवजा व अन्य मदद देने आदि शामिल हैं।