Maharana Pratap कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर का चौदहवां ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह

Maharana Pratap
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जयपुर: राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री कलराज मिश्र ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में विकास के जरिए राज्यों की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के साथ ही किसानों की समृद्धि और विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने इसमें कृषि विश्वविद्यालयों को भी आगे आकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह््वान किया है। 

Maharana Pratap University of Agriculture and Technology, Udaipur

श्री मिश्र गुरूवार को यहां राजभवन से Maharana Pratap कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के चौदहवें ऑनलाइन दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने प्रदेश में स्थान-विशेष में पानी की उपलब्धता, जलवायु और मिट्टी की उर्वरा शक्ति के हिसाब से खेतों में बोए जाने वाले उन्नतबीजों पर कार्य करने, किसानों को प्रसार शिक्षा के तहत आधुनिक कृषि तकनीक, ज्ञान से निरन्तर लाभान्वित किए जाने का भी विश्वविद्यालयों से आह््वान किया। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा प्रयास यह होना चाहिए कि कैसे किसानों को कृषि से अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

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राज्यपाल ने सरकार द्वारा कृषि और कृषकों के विकास के लिए उठाये गए कदमों की चर्चा करते हुए कहा कि खेत और किसान समृद्धि के लिए किए जा रहे कायोर्ं को किसानों तक अधिकाधिक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा किकृषि के जरिए अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सभी को मिलकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कृषि शिक्षण, अनुसंधान व प्रसार गतिविधियों की दक्षता वृद्धि के लिए अधिक से अधिक किए जाने पर भी जोर दिया। 

श्री मिश्र नेकहा कि कृषि विश्वविद्यालय कृषि क्षेत्र की वर्तमान, प्रत्याशित और अप्रत्याशित समस्याओं का कारगर ढंग से समाधान करने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय कृषि अनुसंधान की ऎसी संस्कृति को प्रोत्साहन दे जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकी के उपयोग से खेती और इसे करने वाले किसानों का व्यापक स्तर पर भला हो सके।

राज्यपाल ने कहा कि कृषि विश्वविद्यालय की सफलता शिक्षण के अलावा वहां की अनुसंधान व प्रसार की सफलताओं से भी आंकी जाती है। इसलिए जरूरी यह भी है कि आर्टिफिसिअल इंटेलीजेंस जैसी आधुनिक तकनीकों से फसल उत्पादकता को बढ़ाए जाने के प्रयासों के साथ ही फसल कटाई, प्रसंस्करण और विपणन मेंसुधार के प्रभावी प्रयासों को भी कृषि विश्वविद्यालय किसानों तक पहुंचाए।इसी प्रकार इंटरनेट ऑफ थिंग्स आधारित स्मार्ट कृषि समाधान प्रणाली के माध्यम से प्रकाश, आर्द्रता, तापमान, मृदा नमी, फसल स्वास्थ्य आदि मापने हेतु सेंसर की सहायता से खेतों की निगरानी आदि पर भी कार्य किया जाए।

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उन्होंने इस संबंध में Maharana Pratap प्रौद्योगिकी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा कुछ परियोजनाओं पर किए जा रहे कायोर्ं की सराहना भी की राज्यपाल ने प्रसार तंत्र के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों की सहायता से नवीन प्रौद्योगिकी का प्रचार-प्रसार प्रभावी ढंग से करने, जैविक खेती को बढ़ावा देने, किसानों के परम्परागत ज्ञान को सहेजने और उस ज्ञान के आधुनिकीकरण आदि पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के तहत कृषि से सम्बंधित रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों की पहल करें। कृषि विपणन, प्रबंधन, फसल भंडारण आदि के जरिये खेती, किसानों के विकास के लिए शिक्षण, शोध एवं शिक्षा का प्रसार कर निरन्तर प्रभावी कार्य करे।

कुलाधिपति ने कृषि विश्वविद्यालय के कृषि अनुसंधान केंद्रों को उत्कृष्टता केंद्र बनाए जाने, अंतराष्ट्रीय स्तर पर कृषि परियोजनाओं के साझाकरण के प्रयासों की सराहना की। राज्यपाल ने इस मौके पर संविधान उद्यान का लोकार्पण किया। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित रिन्यूएबल एनर्जी, वीमेन एंड डाइवर्सिटी, बायोमास प्रोडक्शन पुस्तकों का लोकार्पण किया। इससे पहले उन्होंने विद्यार्थियों को ऑनलाइन उपाधियां, विद्यावाचस्पति दीक्षा, स्वर्ण पदक प्रदान करने के साथ ही सुश्री दीपिका कल्याण को ‘चांसलर्स गोल्ड मैडल‘ प्रदान किया। राज्यपाल ने इस अवसर पर संविधान उद्देशिका एवं मूल कर्तव्यों का भी वाचन कराया। कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि एवं कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने इस अवसर पर कृषि क्षेत्र में विकास के लिए कृषि शिक्षा के सुनियोजित प्रसार की आवश्यकता जताई। 

नेशनल रेन्फेड एरिया अथॉरिटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. अशोक दलवई ने दीक्षान्त भाषण में कृषि शिक्षा के नवाचारों में वैश्विक दृष्टि रखते हुए कार्य करने पर जोर दिया। कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने विश्वविद्यालय काप्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। ऑनलाइन समारोह में राज्यपाल के सचिव श्री सुबीर कुमार और प्रमुख विशेषाधिकारी श्री गोविंद राम जायसवाल ने भी भाग लिया।

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