निर्भया केस: फांसी से बचने के लिए विनय शर्मा ने उपराज्यपाल के पास लगाई अर्जी, सजा को उम्रकैद में बदलने की गुहार

नई दिल्ली । निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस के दोषी  विनय शर्मा ने फांसी से बचने के लिए एक और दांव चला है। फांसी से 11 दिन पहले विनय शर्मा के वकील एपी सिंह ने दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास अर्जी लगाकर विनय की फांसी को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की है। एपी सिंह ने सेक्शन 432 और 433 के तहत पिटीशन फाइल की है और फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की है।

मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई अर्जी
इससे पहले दोषी मुकेश सिंह ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपने कानूनी उपाय बहाल करने का अनुरोध किया है। दोषी का आरोप है कि उसके वकील ने उसे गुमराह किया था। वकील मनोहर लाल शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में मुकेश सिंह ने आरोप लगाया है कि केन्द्र, दिल्ली सरकार और न्याय मित्र की भूमिका निभाने वाली अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने ‘आपराधिक साजिश’ रची और ‘छल’ किया जिसकी सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए।

20 मार्च को होनी है फांसी
दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया के चारों दोषियों की फांसी तीन बार टलने के बाद इसके लिए 20 मार्च की नई तारीख निर्धारित की है। दोषियों को 2013 में फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद इस मामले ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने निर्देश दिया है कि मुकेश कुमार सिंह (32),पवन गुप्ता(25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाया जाए।

मामले के सभी दोषियों को यहां तिहाड़ जेल में एक साथ फांसी दी जानी है। दिल्ली सरकार ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेन्द्र राणा को बताया कि दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है, जिसके बाद अदालत ने फांसी के लिए 20 मार्च की नई तारीख निर्धारित की।

दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत से कहा कि मौत की सजा के क्रियान्वयन की तारीख निर्धारित करने की कार्यवाही में अदालत के समक्ष अब कोई बाधा नहीं है। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि दोषी के वकील और सरकारी वकील ने सही स्वीकार किया है कि अब सीआरपीसी की धारा 413/414 (मृत्यु वारंट जारी करने) की शक्ति के इस्तेमाल में अब कोई बाधा नहीं है, वहीं अदालत का यह दायित्व है कि वह संबद्ध प्रावधानों के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करे।

अदालत के इस कदम के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, ‘20 मार्च की सुबह हमारे जीवन का सवेरा होगा।’ उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी दिए जाने तक संघर्ष जारी रहेगा और उन्होंने उम्मीद जताई कि 20 मार्च फांसी की आखिरी तारीख होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि मौका मिला तो वह दोषियों को मरते देखना चाहेंगी।

उधर, उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि वह निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में उठे इस कानूनी सवाल पर 23 मार्च को विचार करेगा कि क्या एक मामले में मौत की सजा पाने वाले एक से ज्यादा दोषियों को अलग-अलग फांसी दी जा सकती है। न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के पांच फरवरी के फैसले के खिलाफ केन्द्र की अपील पर सुनवाई स्थगित करते हुये कहा, ‘विचारणीय सवाल यह है कि क्या दोषियों को अलग-अलग या एकसाथ फांसी दी जा सकती है।’

पीठ ने कहा, ‘हम इस सवाल पर विचार करेंगे।’ हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि निर्भया मामले के चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी देनी होगी। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन दोषियों ने फांसी की सजा पर अमल में विलंब के लिये समूची व्यवस्था का मखौल बना दिया है। इस मामले में दोषियों को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के अदालत के आदेश को अब तक तीन बार टाला जा चुका है क्योंकि उन्होंने अपने सभी कानूनी विकल्पों का सहारा लेने में अंतिम क्षण तक विलंब किया था।

मेहता ने कहा, समूची व्यवस्था की विश्वसनीयता इस पर दांव पर है। सालिसीटर जनरल ने पीठ को सूचित किया कि निचली अदालत ने इन दोषियों को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिये आवश्यक वारंट जारी कर दिया है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि इन दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी पर लटकाया जाये क्योंकि वे अब सारे कानूनी विकल्पों की मदद ले चुके हैं। पीठ ने कहा कि वह इस मामले में केन्द्र की अपील पर अब 23 मार्च को सुनवाई करेगी।

पीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले को अब स्थगित नहीं किया जायेगा। शहर की एक अदालत ने 13 सितंबर 2013 को चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। केन्द्र की अपील पर बहस के दौरान मेहता ने कहा कि ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है कि सारे दोषियों को एक साथ ही फांसी देनी होगी। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि कल किसी अपराध में 10 या 20 ऐसे अपराधी हो और वे इसी तरह से मौत की सजा के फैसले पर अमल में विलंब करने का रास्ता चुन सकते हैं।

निचली अदालत में सुनवाई के दौरान अक्षय, विनय और पवन की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ए पी सिंह ने अदालत से कहा कि वह जेल में पवन से मिलेंगे और उसके बाद उसकी दया याचिका खारिज होने के खिलाफ उसके कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करेंगे। जेल अधिकारी ने कहा कि इस बारे में कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है। जेल का प्रतिनिधित्व कर रहे अभियोजक ने कहा, ‘जहां तक कानूनी विकल्पों की बात है, उन्होंने सभी का इस्तेमाल कर लिया है। दया याचिका के खिलाफ रिट याचिका कोई कानूनी विकल्प नहीं है।’

पवन की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा खारिज किए जाने के बाद दिल्ली सरकार ने बुधवार को अदालत का रुख कर दोषियों की फांसी के लिए नयी तारीख का अनुरोध किया था। दिल्ली सरकार ने अदालत से कहा था कि दोषियों के सभी कानूनी विकल्प समाप्त हो गए हैं और उनके पास अब कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।

अभियोजन के वकील ने भी कहा कि किसी नोटिस की जरूरत नहीं है। निचली अदालत ने दोषियों की फांसी को सोमवार को अगले आदेश तक के लिए टाल दिया था। उन्हें बीते मंगलवार को फांसी दी जानी थी। इस तरह, मृत्यु वारंट अब तक तीन बार टालना पड़ा था। राष्ट्रपति ने मुकेश, विनय और अक्षय की दया याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी हैं। मामले में चारों दोषियों और एक किशोर सहित छह व्यक्ति आरोपी के तौर पर नामजद थे।

छठे आरोपी राम सिंह ने मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। एक सुधार गृह में तीन साल गुजारने के बाद 2015 में किशोर को रिहा कर दिया गया था। गौरतलब है कि निर्भया से 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया था और उस पर बर्बरता से हमला किया गया था। निर्भया की बाद में सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में मौत हो गयी थी, जहाँ उसे बेहतर चिकित्सा के लिए ले जाया गया था।