Story of exploitation of farmers: फसल के आधे आम अंग्रेजों को लगान के रूप में देने पड़ते थे

Story of exploitation of farmers
  • अंग्रेजाें के शासन में भीलवाड़ा जिले में खेती पर अलग-अलग कर लगाने के विराेध में हुए किसान आंदाेलन
  • जानिए किसानों पर लगाए गए अजीब से कर और किसानाें के संघर्ष के आगे अंग्रेज सरकार के झुकने के किस्से

Story of exploitation of farmers: नई दिल्ली में चल रहे किसान आंदाेलन काे साेमवार काे 26 दिन हाे चुके हैं। जिले के बिजाैलिया में 44 साल तक चले देश के सबसे लंबे किसान आंदाेलन के साथ-साथ अंग्रेजाें के शासन के समय भी रियासताें में किसानाें पर ऐसे कर लगाए थे जाे चुकाना संभव नहीं था। ये कर बड़े हास्यास्पद और अजीबाेगरीब भी थे।

Story of exploitation of farmers

इनसे समझा जा सकता है कि अंग्रेजी हुकूमत में किसानाें पर कितने अत्याचार हाेते थे? स्वतंत्रता आंदाेलन में दाे बार जेल गए भीलवाड़ा के स्व. रूपलाल साेमानी ने किसानाें काे इन कराें से मुक्ति दिलाई। इसके लिए संघर्ष में भले ही बरसाें लग गए लेकिन जीत किसानाें की हुई। अलग-अलग जगह हुए किसान आंदाेलनाें का जिक्र साेमानी ने अपनी ऑटाे बायाेग्राफी में किया है।

गुरला: हर किसान काे आम के आधे फल कर के रूप में देने पड़ते थे


जिले के गुरला गांव की भूमि काफी उपाजऊ हाेने से वहां पर किसान आम के पेड़ बड़ी मात्रा में लगाते थे लेकिन किसानाें काे आम के फलाें की आधी पाती ठिकाने काे कर के रूप में देनी हाेती थी। इसके अलावा यहां हर चूल्हे पर धुआं दंड भी लगाया गया था। गांव के लाेग इससे परेशान हाे गए। इसके बाद रूपलाल साेमानी ने कराें के विराेध के लिए गांव के 21 किसानाें की कमेटी बनाई। दाे साल तक किसानाें ने संगठित रहकर आम के फलाें की आधी पाती नहीं दी। उनकाे डराया-धमकाया लेकिन आखिरकार संगठित किसानाें की जीत हुई और कर बंद करना पड़ा।

अंटाली: एक बीघा पर एक बिस्वा हरी फसल मवेशियाें व घाेड़ाें के लिए देते थे


यहां गांव में जागीरदार किसानाें के खेताें में खड़ी हरी फसल में से एक बीघा में एक बिस्वा काटकर अपने मवेशियाें और घाेड़ाें के लिए ले जाते थे। इसके विराेध में सग्रामगढ़ में सभा हुई। सभा की सूचना मिलते ही कलेक्टर गुलजारीलाल माथुर दलबल सहित वहां पहुंच गए। कलेक्टर ने जागीरदाराें और किसानाें की मीटिंग बुलाई और उसी समय हरा की लागत कर काे बंद करने का आदेश दिया और बाकी लागताें का मामला महकमा खास काे भेजने का निर्णय हुआ। इसमें भी किसानाें की जीत हुई।

भगवानपुरा: खेत के बीच जंजीर डालकर कह देते एक साइड की फसल हमारी


इस गांव में किसानाें के खेताें का लाटा-कूता करने का नियम था। जब फसल पकने का समय अाता ताे खेत में जंजीर डालकर किसानाें काे यह हुकुम दिया जाता था कि इस जंजीर की एक साइड में आधी फसल आपकी है और बाकी फसल आपकाे लगान में देनी हाेगी। भगवानपुरा ठिकाने में 12 गांव लगते थे। यहां लाटा-कूता का संघर्ष करीब छह साल चला।

साेमानी के नेतृत्व में किसानाें का एक प्रतिनिधि मंडल मेवाड़ के दीवान टीवी राघवाचार्य से मिला और इसका विराेध किया। आखिरकार किसानाें काे पानगड़ियाें के अनुसार ही लगान जमा कराने का निर्णय हुआ। इसके अनुसार किसानाें की जीत हुई और किसानाें ने निर्णय के अनुसार लगान जमा कराया।

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विशेष: यह जानकारी रूपलाल साेमानी अभिनंदन ग्रंथ से ली गई है। स्वतंत्रता सेनानी साेमानी बड़े मंदिर के पास नाड़ी माेहल्ला में रहते थे। वे वर्ष 1938 में प्रजामंडल आंदाेलन और 1942 में अंग्रेजाें भारत छाेड़ाें आंदाेलन के समय जेल गए थे।

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