मनोरंजन

संभल जा मानव…

संभल जा अब मानव तू जरा,समझ जा़ वक्त है अब भी तेरा । बिलख कर रोता रह जाएगा,समय की धारा समझो जरा। मत बनो तुम लापरवाह अब,संभल जा अब मानव तू जरा। कुछ नहीं जाएगा […]

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माँ (मातृ-दिवस के लिए)

सुबह बनकेजगाती हैसबकोचिडिय़ा सीचहकतीफुलबारी सीमहकतीफिर दोपहरबन जातीसबको भोजनखिलातीफिर स्वयं खातीढ़लती दोपहरीकी तरहबिन जिऱहबन जाती सांझकरती स्वागतअपने काम सेआने वालों काकेवल मुस्कराकरसबको खिलाकरफिर कुछ पाकरबन जाती निशाबुझ जातीदिये की भाँतिफिर बनने के लिएअगली सुबह… व्यग्र पाण्डेगंगापुर […]