संभल जा मानव…

संभल जा अब मानव तू जरा,
समझ जा़ वक्त है अब भी तेरा ।

बिलख कर रोता रह जाएगा,
समय की धारा समझो जरा।

मत बनो तुम लापरवाह अब,
संभल जा अब मानव तू जरा।

कुछ नहीं जाएगा रे तेरा,
चंद दिनों की बात है ये जरा ।

वरन जान से जाएगा व्यर्थ,
संभल जा अब मानव तू जरा।

मुश्किल ये दौर चला गया,
तब भले चाहे जो कर लेना।

समझ जा वक्त है अब भी तेरा,
सितम कर ना किसी पर जरा।

बिलख जाएगा सारा जहां,
कर न तू लापरवाही अब।

कवि कुमार गिरीश
गंगापुर सिटी, सवाई माधोपुर, (राजस्थान)