अदालत में शारीरिक शोषण हुआ, खुद अन्याय का शिकार हुई- महिला जज

भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में यूपी की महिला जज ने इच्छा मृत्यु मांगी

लखनऊ। उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में नियुक्त एक महिला न्यायाधीश ने इच्छा मृत्यु मांगी है। महिला जज (
female judge) ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है जिसमें उल्लेख किया कि भरी अदालत में मेरा शारीरिक शोषण हुआ। मैं दूसरों को न्याय देती हूं, मगर खुद अन्याय का शिकार हुई। जब मैंने जज होते हुए न्याय की गुहार लगाई, तो 8 सैकंड में सुनवाई करके पूरा मामला अनसुना कर दिया। मैं लोगों के साथ न्याय करूंगी, ये सोचकर सिविल सेवा ज्वॉइन की थी। लेकिन मेरे साथ ही अन्याय हो रहा है। अब मेरे पास सुसाइड के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है। इसलिए मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति दी जाए।

महिला जज के अनुसार 7 दिसंबर 2022 को सुबह साढ़े 10 बजे मैं अदालत में काम कर रही थी। इसी दौरान महामंत्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कई वकीलों के साथ कोर्ट कक्ष में घुस आए। मेरे साथ बदसलूकी शुरू की। इस दौरान गाली-गलौज करते हुए मेरे कक्ष की बिजली भी बंद कर दी गई। इसके साथ ही कक्ष में मौजूद अन्य वकीलों को जबरन बाहर निकाल दिया। इसके बाद उन्होंने मुझे धमकी भी दी। हमने इसकी शिकायत की, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इस घटना को लेकर बाराबंकी जिला बार एसोसिएशन ने न्यायिक कार्य के बहिष्कार का प्रस्ताव पारित कर रखा था।

लखनऊ निवासी है महिला जज

31 वर्षीय महिला जज लखनऊ की निवासी हैं। 2019 में वो जज बनी थीं। उनकी पहली तैनाती बाराबंकी में हुई थी। इसके बाद मई 2023 में उनका ट्रांसफर बांदा हुआ था। इसके बाद से वो यहीं पर तैनात हैं।

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