”शब्दों का जाम”

शब्द ही रस है, रस ही जिन्दगी हैं,
कातिल अदा, भी शब्द हैं,
तुझ पै फिदा, भी शब्द है,
तू तो शबनम यह शब्द है,
तू ही अंजुमन, यह भी शब्द है,
आभास का दूसरा नाम शब्द है,
अहसास भी इक शब्द है
शब्दो का आदर करो मेरे दोस्त,
शब्द ही प्यार का प्रतिविम्ब है।

शब्द ही कहता है तू मेरी परछाई है ‘
शब्द ही कहता है तू ही माई है,
प्रेयसी के प्रेम का दूसरा नाम शब्द है,
प्रेमिका का पत्र ही वो शब्द है
जब हर कोई होता निशब्द है,
शब्द ही सीमा है,
शब्द ही सम्बन्ध है,
शब्द ही निकटता है,
शब्द ही दूरी है,
मित्र, शब्द ही मजबूरी है,
शब्द ही मजदूरी है,
शब्द ही विरासत है,
शब्द ही आदत है.
शब्द ही सहिष्णुता,
शब्द ही मित्रता है,
शब्द तिरस्कार है, शब्द ही संस्कार है
शब्द ही आदर है, शब्द ही संसार है

मित्र, तत्काल लिखे है ये शब्द ही है,
आगे भी लिखूँगा वो भी शब्द ही है,
आप पढ़कर हॅसोगे, शब्दो का कमाल है,
आप हमें याद करोगें शब्दो का धमाल है।

मीत मेरे .शब्द ही करुण क्रन्दन है,
शब्द ही वन्दन है,
शब्द ही है करता अभिनन्दन है
शब्द ही तुम्हारी सुन्दरता है,
शब्द ही मेरी अधीरता है,
शब्द ही मिलन हैं,
शब्द विछोह है ।
शब्द सोच की पराकाष्ठा,
शब्द ही है आकांक्षा
शब्द सुन्दर चित्र है, शब्द ही चरित्र है,
शब्द ही सर्वज्ञ है, शब्द ही मर्मज्ञ है।

शब्द ही आह्लाद है, शब्द ही प्रमाद है
वक्ता का व्यक्तित्व भी शब्द. है
आपका और हमारा अस्तित्व भी शब्द है।

शब्द ही मेरी दीवानगी,
शब्द ही मेरी बन्दगी,
शब्द ही आभास,
शब्द ही सहवास,
शब्द स्वास,
शब्द विश्वास,

शब्द ही आराधना,
शब्द ही सम्भावना,
शब्द ही आगोस है,
शब्द ही मदहोस’ है,

छूने की जरूरत नही है जिसको
क्यूँ कि वह शब्द है.
बिन छुये करता वह सभी को निशब्द है।

आओ मित्र ! मेरी पास में शब्दों का गुलदस्ता लेकर,
पता जब ही चलेगा शब्द कितने मदमस्त है

शब्दों की अनहद नाद से गूँजेगा तुम्हारा कक्ष,
शब्दों का छोटा सा पौधा जिस दिन बनेगा बट वृक्ष,
श्वास प्रश्वास की गती भी थम जायेगी,
जिस दिन वो शब्दों की चाँदनी बनकर
मेंरे पास चली आयेगी।

इसलिये शब्दों का आदर करो मेरी प्रियतमा,
तुम ही हो सिर्फ तुम ही हो
मेरे शब्दों की अद्‌भुत् उपमा ।

में भी दिखाउँगा तुम्हें मेरे शब्दों की दिवानगी,
तब तुम्हें कभी ना होगी मेरे शब्दों से शर्मिन्दगी ।

इसलिये में कहता हूँ मित्र! मतकरो मुझ पर शब्दो का प्रहार,
में हो जाऊँगा गर बीमार,
तुम्हें ही सम्भालना होगा,
मेरे शब्दो की मार को सहना होगा ।

शब्दों से काँट दूँगा सब बन्धन
फिर तो तुम्हें बाँहो में आना ही होगा।

मेरे शब्दों को सुनो मेरी सुरसरी,,
अवश्य सुनाई देगी इसमें वो मधुर ध्वनी,
फिर नो छोड़ोगें, मुझे मझधार में.
विश्वास है मुझे तुम पर,
जीनें दोगें मुझे. तुम संसार में,

इसलिये में कहता हूँ मत आओ मेरे पास मेरी प्रियतमा,
शब्दों की गरीमा में ही छुपी है तुम्हारी प्रतीमा,
देखकर शब्दों का यें छायाचित्र
हर कोई कहेगा,
सचमुच तुम हो मेरी विचित्र ।

मीत मेरे तुम ही मेरे शब्दों का सानिध्य हो,
तुम ही मेरी कीर्ती हो.
ना मिटाना तुम इसे कभी भी किसी सूरत में,
क्यूँ कि तुम ही मेरे शब्दों की प्रतिमूर्ति हो।

पगला जाओगें जब शब्दों से करोगे साक्षात्कार,
भय यह है कि कही होना जाये आपका तिरस्कार,
इसलिये मीत मेरे,
रखना सदैव शब्दों से शालीनता,
जिससे हो ना सके,
अन्तर्मन में मलीनता ।

इसलियें कहता हूँ सखा
शब्द कवि की गागर है,
शब्द तो महासागर है
शब्द ही सृष्टि है,
शब्द अनावृष्टि है,
शब्द नवरंग है,
शब्द ही अनंग है,
शब्द पुञ्पाञ्जी है
१ाब्द श्रृद्धाञ्जली है,
शब्द ही सार्वभौम है,
शब्द ही व्योम है
१ाब्दगुण आकाश का,
शब्द स्वरूप प्रकाश का ।

ऊँकार णमोकार का जाप कर,
ना शब्दो से व्यर्थ प्रहार कर,
मिट जायेगी हस्ती तेरी,
इसलियें
मत तू शब्दों का तिरस्कार कर।

सखा ,शब्दो में ही दर्द है
शब्द नही जिसके पास,
वो सचमुच ना मर्द है.
हे ! प्राणी शब्दों का तू संन्धान कर
सबको सादर प्रणाम कर,
इक दिन तू चला जायेगा,
तेरा शब्द ही यहाँ रह जायेगा ।

स्वप्राण भी शब्द है
जिह्वा का वाण भी शब्द है,
शब्दों की तो लड़ाई है सचमुच,
ये कुछ ओर नही
ये प्रकृति की अगड़ाई है।

शब्दों का परिधान है शालीनता,
शब्दो का सौम्य स्वरूप संवेदनशीलता,
शब्दों का साक्षात् स्वरूप प्रेम है,
मूक स्वरूप मौन है ,
दीर्घ स्वरूप गौण है
द्वन्द निर्द्वन्द नाद्‌ है.
शब्द पूर्ण ब्रह्म है,
शब्द आदर धर्म हैं।

.योगी का यौवन शब्द है,
भोगी का भोजन शब्द है,
भक्ति का भावशब्द है,
मुक्ति का मार्ग शब्द है।

मन्दिर का नाँद शब्द है,
मस्जिद की बॉग शब्द है,
कुरान की आयात शब्द है,
वेदो कें मंत्र शब्द है
बाईबल का सार शब्द है,
वाहे गुरु दी वाणी शब्द है,
जिनकी जिनवाणी शब्द है
शब्द ही कहता है
बुद्धं शरणं गच्छामि
शब्द ही कहता है
अहं राष्ट्रं रक्षामिI

कहता यह आदिवासी
शब्दों की पूजा करो,
शब्दो की रक्षा करो –
शब्द आदि है,
अंत है औरअनादि है,
और अविनाशी है ।
शब्द सच्चिदानन्द है
शब्द ब्रह्मानंद है।.

प्रो. रामकेश आदिवासी

प्रो. रामकेश आदिवासी
सहआचार्य, राजकीय महाविद्यालय, गंगापुर सिटी