लॉकडाउन अवधि में 5.96 लाख मैट्रिक टनगेहूं पहुंचाया उचित मूल्य दुकानों तक
जयपुर। राज्य खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम ने प्रदेश में लॉकडाउन अवधि में अभी तक 5.96 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उठाव कर उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाया है। विभाग ने अप्रेल माह में कुल 6.70 लाख मैट्रिक टन गेहूं उठाव के लक्ष्य की तरफ आगे बढ़ते हुए 21 अप्रेल तक 5.10 लाख मीट्रिक टन गेहूं का उठाव कर उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाया है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष एवं शासन सचिव, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के ध्येय वाक्य ‘कोई व्यक्ति भूखा नहीं सोए’ को ध्यान में रखते हुए निगम ने लॉकडाउन के दौरान घरों में बंद गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों को खाद्यान्न पहुंचाने की चुनौती को स्वीकार किया है।
उचित मूल्य दुकानों तक गेहूँ पहुँचाना थी बड़ी चुनौती
महाजन ने बताया कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन घोषित किये जाने तक अप्रेल माह के लिए मात्र 58 प्रतिशत गेहूँ का उठाव किया गया था। लॉकडाउन से श्रमिकों एवं वाहन चालकों के पलायन तथा कोरोना संक्रमण की चिंता के कारण गेहूँ की आपूर्ति में एकाएक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। इसी दौरान केंद्र सरकार की ओर से अप्रेल, मई एवं जून माह के लिए अतिरिक्त 5 किलोग्राम गेहूँ प्रति व्यक्ति प्रतिमाह निःशुल्क देने की घोषणा भी कर दी गई। इससे अप्रेल माह में गेहूँ की तीन गुना मात्रा, अप्रेल माह के लिए अतिरिक्त आवंटित तथा मई माह की नियमित व अतिरिक्त आवंटित मात्रा का उठाव कर उचित मूल्य दुकानों तक पहुँचाने की बड़ी चुनौती थी।
एफसीआई, जिला प्रशासन एवं परिवहन विभाग का मिला सहयोग
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष ने बताया कि निगम ने समुचित रणनीति तैयार की और जिला प्रशासन एवं परिवहन विभाग के सहयोग से तीन गुना वाहन गेहूँ के उठाव एवं आपूर्ति में लगाये गए। श्रमिकों एवं ट्रक चालकों को गेहूँ के परिवहन में किसी तरह की दिक्कत नहीं आये, इसके लिए विभाग की ओर से समुचित पास जारी करवाए गए हैं। भारतीय खाद्य निगम की ओर से आपूर्ति में तेजी बनाये रखने के लिए रेल रैक के माध्यम से गेहूँ मंगवाकर रेल हैड से सीधे ही लोड कर भेजा गया। इसके अलावा ट्रक से आये गेहूूँ को एफसीआई ने गोदाम में उतारने के बजाय सीधे ही खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रकों पर लोड करवा दिया, इससे समय की बचत हुई। उन्होंने बताया कि राज्य के 20 जिलों में निगम की ओर से नियुक्त परिवहनकर्ता के माध्यम से तथा 13 जिलों में क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के माध्यम से गेहूँ की आपूर्ति की जाती रही है।