आज रात दिखेगी टूटते तारों की बारिश: जेमिनिड मीटियोर शावर पीक पर होगा

विशेष उपकरण बना देखा जा सकेगा

जेमिनिड मीटियोर शावर 14 दिसंबर की रात अपने पीक पर होगा जिसे 15 दिसंबर सुबह तक आसमान में देखा जा सकेगा। इस खगोलीय घटना को देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की जरूरत नहीं। ज्यादातर मीटियोर शावर तब होते हैं जब एस्टेरॉइड या कॉमेट के छोटे अवशेष हाई स्पीड से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं जिससे आकाश रोशन हो जाता है।

बकौल इन द स्काई नई दिल्ली में मीटियोर शावर 14 दिसंबर शाम करीब 6.53 बजे दिखाई देना शुरू हो जाएगा, जब इसके रेडिएंट पॉइंट पूर्वी क्षितिज से ऊपर उठेंगे। 15 दिसंबर सुबह करीब 6.36 बजे तक ये शावर दिखाई दे सकता है। अपने पीक पर आकाश में प्रति घंटे 150 मीटियोर्स हो सकते हैं। यानी 2-3 मीटियोर हर मिनट दिख सकते हैं।

जेमिनिड को उसका नाम जेमिनी तारामंडल से मिला है क्योंकि उनका रेडिएंट पॉइंट इसके अंदर स्थित है। आकाश में रेडिएंट की पोजीशन मीटियोर शावर की स्ट्रेथ को प्रभावित करती है। आप जितना दूर उत्तर में होंगे, चमक उतनी ही अधिक होगी। शावर के दौरान मूनलाइट की अनुपस्थिति भी इसे देखने के एक्सपीरियंस को बढ़ा देती है। यानी डार्क स्काई में ये अच्छा दिखाई देता है।

जेमिनी कॉन्स्टिलेशन को पहचानने का सबसे आसान तरीका है ओरियन की बेल्ट का पता लगाना, फिर उस लाइन को फॉलो करना जो रिगेल (ओरियन का दाहिना पैर और सबसे चमकीला सितारा) से ऊपर की तरफ बेटेलगेस (ओरियन के बाएं कंधे) की ओर जाती है। यहां आपको कैस्टर और पोलक्स दिखेंगे। इससे कॉन्स्टिलेशन की पहचान हो जाएगी। जेमिनिड मीटियोर शावर तब होता जब पृथ्वी एस्टोरॉइड 3200 फेथॉन के मलबे (डेब्री) से होकर गुजरती है। 3200 फेथॉन को रॉक कॉमेट भी कहा जाता है। फेथॉन के धूल के कण लगभग 34 किमी प्रति सेकंड की गति से पृथ्वी के वायुमंडल से टकराकर आकाश में चमक पैदा करते हैं। इसे आम भाषा में टूटता तारा या शूटिंग स्टार भी कहा जाता है।

अच्छे अनुभव के लिए यह कर सकते हैं

बेस्ट विजिबिलिटी के लिए लाइट और प्रदूषण से दूर अंधेरी जगह चुनें, जेमिनी कॉन्स्टिलेशन में रेडिएंट का पता लगाएं। ये ओरियन बेल्ट के करीब होता है। आंखों को अंधेरे के साथ तालमेल बिठाने के लिए 30-45 मिनट का समय दें।