केंद्र सरकार की ओर से 2021 का बजट का पहला चरण 29 जनवरी से शुरू होकर 15 फरवरी तक चलेगा। इसके बाद दूसरा चरण 8 मार्च से 8 अप्रैल तक रहेगा। इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 जनवरी को संसद के दोनों सदनों को संबोधित करेंगे। इसके बाद 1 फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण देश के सामने केंद्रीय बजट पेश करेंगी। ऐसा लग रहा है कि इस बार जनता की निगाहें रेल बजट पर विशेष रहेंगी। आपको बता दें कि पहले आम बजट और रेलवे बजट अलग-अलग पेश किया जाता था, लेकिन मोदी सरकार ने 2016 में इस व्यवस्था को खत्म कर दिया था।
हालांकि ऐसा कहा जा रहा कि इस बार रेल बजट जनता को निराश कर सकता है। सूत्रों की मानें तो रेलवे का बजट पिछले वित्त साल से करीब 3 से 5 प्रतिशत ही बढऩे की उम्मीद है। रेल मंत्रालय ने अगले वित्तवर्ष के लिए वित्त मंत्रालय के सामने करीब 1.80 लाख करोड़ रुपए बजट की मांग रखी है।
वित्त मंत्रालय ने जिसे कोरोना वायरस का हवाला देकर खारिज कर दिया है। वहीं सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-2022 का रेलवे बजट 1.70 लाख करोड़ के करीब होगा। वहीं रेलवे को केंद्र की तरफ से करीब 75 हजार करोड़ की मदद मिल सकती है। वहीं इस बार रेलवे बजट में प्राइवेट ट्रेन, नए रूट पर तेज सफर, पर्यटन स्थलों पर बेहतर रेल सुविधाएं, सोलर पैनल, ग्रीन एनर्जी, किसान रेल में विस्तार और नार्थ-ईस्ट राज्यों में कनेक्टिविटी पर ज्यादा फोकस होगा।
केन्द्र सरकार ने आम जनता से बजट को लेकर सुझाव भी मांगे हैं। जबकि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी बजट को लेकर इशारा भी किया हैै कि बजट कोरोना संकट से गुजर रहे देश के लिए नई दशा और दिशा तय करने वाला होगा। कोविड-19 महामारी के कारण इस बार केंद्रीय बजट के पेपर प्रिंट नहीं होंगे। यह बजट पूरी तरह पेपरलेस होगा। आजादी के बाद यह पहला मौका होगा जब बजट के पेपर प्रिंट नहीं होंगे। सभी को बजट की सॉफ्ट कॉपी दी जाएगी।
आपको जानकारी दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस बार संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाया गया था। सरकार ने कहा था कि कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण इस बार संसद के शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं होगा।
हालांकि इस पर विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार किसानों के विरोध प्रदर्शन और अन्य मुद्दों पर चर्चा करने से बच रही है इसलिए शीतकालीन सत्र का आयोजन नहीं कर रही है।