जयपुर। निरोगी राजस्थान के राज्य सरकार के संकल्प को साकार करने की दिशा में चिरंजीवी योजना (Chiranjeevi scheme) एक अभूतपूर्व कदम है। अब आम आदमी भी निजी चिकित्सालयों में निःशुल्क अपना इलाज करा सकता है। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पहले से ही निशुल्क जाँच एवं निशुल्क दवा योजना लागू की गयी है। अब चिरंजीवी के माध्यम से आमजन के लिए इलाज की भी निःशुल्क योजना लागू की गयी है। गंभीर बीमारियों के महंगे इलाज, जो अब तक गरीबों की पहुंच से बाहर थे, अब उन्हें मिलने की राह खुल गई है। कैंसर जैसी घातक और जानलेवा बीमारी का भी इलाज मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के चलते अब आमजन की पहुंच में है।
कैंसर की बीमारी का इलाज आम जन को सुलभ कराने के लिए जयपुर स्थित राज्य कैंसर संस्थान वरदान साबित हुआ है। संस्थान में चिरंजीवी योजना के माध्यम से कैंसर रोगियों को आधुनिकतम और बेहतरीन इलाज निःशुल्क उपलब्ध हो रहा है। प्रदेश से ही नहीं, बल्कि राज्य से बाहर के रोगी भी यहां इलाज के लिए आते हैं। यहां विभिन्न प्रकार के कैंसर से ग्रस्त सभी आयुवर्ग के लोगों का इलाज किया जा रहा है। कैंसर का इलाज महंगा होने की वजह से गरीब या मध्यमवर्ग के व्यक्ति के लिए इसका समुचित इलाज लेना असंभव सा हो जाता है। लोग अपनी जमीन जायदाद और खेत खलिहान बेचकर इस बीमारी का इलाज कराते हैं। राज्य सरकार की इस योजना ने ऐसे सभी पीड़ितों को उम्मीद की एक किरण दिखाई है।
संस्थान में सॉलिड ट्यूमर कैंसर से लेकर एडवांस कैंसर तक का इलाज उपलबध है जो चिरंजीवी योजना (Chiranjeevi scheme) के माध्यम से निःशुल्क है। कैंसर की पहचान और इलाज के लिए उच्च स्तरीय जाँचें भी यहां उपलब्ध हैं। डॉ सुधीर भंडारी, कुलपति, आरयूएचएस ने बताया कि हमारा प्रदेश चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं देशभर में अग्रणी है। राज्य सरकार द्वारा निःशुल्क जांच एवं निशुल्क दवा योजना लागू करने के बाद से ही राजस्थान स्वास्थ्य क्षेत्र में दूसरे राज्यों से बेहतर स्थिति में है। यहां आमजन के लिए चिरंजीवी योजना के रूप में स्वास्थ्य बीमा सुविधा टेट उपलब्ध कराई जा रही है। ये सब सुविधाएं कैंसर मरीजों के लिए एक वरदान साबित हुई है। हमारा स्टेट कैंसर हा इंस्टीट्यूट देश के सबसे अग्रणी कैंसर संस्थानों में है। हैं यहां सभी आयु वर्ग के कैंसर रोगी निःशुल्क इलाज पा रहे हैं। कैंसर का इलाज सबसे मुश्किल कार्य है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक खर्च लगता है, लेकिन राजस्थान के इस संस्थान में सभी तरह के कैंसर का इलाज आसानी से उपलब्ध है। यहां सॉलिड ट्यूमर कैंसर से लेकर एडवांस कैंसर तक का इलाज निःशुल्क है। देश के कई कैंसर संस्थानों में उपचार के लिए चक्कर काटकर भी कैंसर रोगी हमारे यहां आते हैं। यहां उच्च स्तरीय जाँच उपलब्ध है। सरकार के सहयोग और हमारे विशेषज्ञों के माध्यम से यह मुमकिन हो पा रहा है। हेड ऑफ़ मेडिकल डिपार्टमेंट ऑन्कोलॉजी डॉक्टर संदीप जेसूजा ने बताया की संस्थान में कैंसर का इलाज करवाने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि हर साल तकरीबन 2 लाख मरीजों को कैंसर डाइग्नोस होता है। इलाज लम्बे समय तक चलने के कारण आम जन के लिए समुचित तरीके से इसका इलाज करवा पाना मुश्किल हो जाता है। कैंसर का पूरी तरह से ठीक हो पाना आसान नहीं होता इसलिए इसके इलाज भी आसान नहीं होता है और ना ही सस्ता होता है। डॉक्टर जेसूजा कहते हैं कि राजस्थान में कैंसर के उपचार का निःशुल्क होना एक बड़ी उपलब्धि है। राज्य सरकार ने इस बीमारी को गंभीर रूप से लेते हुए स्टेट कैंसर इंस्टिट्यूट स्थापित किया और यहाँ अच्छे से अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बीमारी के इलाज के लिए लाखों रुपये खर्च हो जाते हैं। यह सरकार की ही इच्छा शक्ति का ही परिणाम है कि आमजन को इस घातक बीमारी का इलाज निःशुल्क उपलब्ध हो पा रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान में मेडिकल छात्रों के लिए देश- विदेश के विषय विशेषज्ञ फेकल्टी के रूप में हैं तथा इलाज व जांच के लिए आधुनिकतम तकनीक की मशीनें उपलब्ध हैं, जिससे हर प्रकार की काम्प्लेक्स सर्जरी संभव है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा बजट घोषणा के तहत संस्थान को 110 करोड़ रूपये दिए गए हैं।
जयपुर निवासी अंजलि का कहना है कि उनके पैर में लगातार दर्द की समस्या थी। आगरा के निजी अस्पताल में जाँच करवाने पर उन्हें पता चला कि वे ब्लड कैंसर से पीड़ित हैं। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं होने के कारण वे अपना इलाज करवाने में असक्षम थीं। वे कहती हैं कि उन्होंने जीने की उम्मीद ही छोड़ दी थी। फिर उन्हें राजस्थान स्टेट कैंसर अस्पताल, जयपुर के बारे में पता चला। अब चिरंजीवी योजना के तहत अंजली का इस अस्पताल में निःशुल्क इलाज किया जा रहा है। वे बताती हैं कि अब तक उनका लगभग 10 से 15 लाख का इलाज निःशुल्क हो चुका है। वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आभार व्यक्त करती है और कहती हैं कि यह योजना उनके लिए जीवनदायिनी साबित हुई है।
हनुमानगढ़ निवासी अनिल अरोड़ा कहते हैं कि उनके 10 साल के बेटे सात्विक को कैंसर का पता चलने पर जैसे उनके जीवन का आधार ही चला गया था। वे बताते हैं कि अलग अलग अस्पतालों में बच्चे के कैंसर का इलाज करवाया। वे इलाज के लिए पंजाब गए और फिर दिल्ली भी गए। दो महीने में ही 10 -15 लाख खर्च हो गए, फिर भी इलाज नहीं हो पाया , फिर हमने जनाधार बनाया जिसके बाद हमें इस सुविधा से इलाज मिला। फिर उनके बेटे का राज्य कैंसर संस्थान में इलाज शुरू हुआ। वे कहते हैं कि यहां पर बेहतर सुविधाएं हैं, जिसके बाद अब बच्चा रिकवर हो रहा है। बच्चे की सभी जांचें और इलाज भी निःशुल्क हुई हैं। वे मुख्यमंत्री का लाख-लाख धन्यवाद करते हुए कहते हैं कि उन्होंने यह पहल कर पूरे राज्य का भला कर दिया है।