आंदोलन के मूड में: सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों से खफा है रेल कर्मचारी

रेलकर्मी जागरण सप्ताह के दौरान 40 हजार रेल कर्मचारियों ने संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर कर जताई आंदोलन की मंशा
गंगापुर सिटी।
केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों से नाराज रेलकर्मी अब आर-पार के संघर्ष के मूड में हैं। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन एवं वेस्ट सेंट्रल रेलवे एंप्लाइज यूनियन के आह्वान पर 1 जून से 6 जून तक पश्चिम मध्य रेलवे में बनाए गए रेलकर्मी जागरण सप्ताह के दौरान 40 हजार रेल कर्मचारियों ने सरकार की नीतियों के विरोध में आर पार के संघर्ष में शामिल होने के लिए संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर किए।
आज जागरण सप्ताह के अंतिम दिन गंगापुर सिटी में दूरसंचार विभाग, लॉबी, टिकट चेकिंग विभाग, संकेत विभाग, श्री महावीरजी, लालपुर उमरी आदि जगहों पर 377 रेल कर्मचारियों ने संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर कर आंदोलन में शामिल होने की मंशा जताई। इस अवसर पर यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन ने रेल कर्मचारियों से चर्चा करते हुए कहा कि इस सरकार की कथनी करनी में भारी अंतर है। एक तरफ रेल कर्मचारियों को कोरोना योद्धा के रूप में परिभाषित करती है तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ मल्टी स्किलिंग करके 50 प्रतिशत स्टाफ कम करने की योजना बनाती है। रेल कर्मचारियों की पुरानी मांगों के बारे में इस सरकार ने कभी भी गंभीरता से विचार नहीं किया और अब कोरोनावायरस की आड़ में श्रम कानूनों में संशोधन के नाम पर उद्योगपतियों के लिए लचीला बनाने का काम कर रही है जिसे हम किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।
यूनियन के मंडल सह सचिव श्रीप्रकाश शर्मा ने रेल कर्मचारियों को बताया कि कोरोनावायरस महामारी के दौरान काम करने वाले रेल कर्मचारियों को विशेष पारितोषिक देने की स्थान पर उनका महंगाई भत्ता बंद करना और तो और जो कर्मचारी अपनी सेवाएं और अपना पूरा जीवन राज कार्य में लगाकर सेवानिवृत्त हो चुके हैं उनकी पेंशन से भी महंगा राहत रोकने का अमानवीय कार्य इस सरकार ने किया है। ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और यूनियन इसका कड़ा विरोध करती है।
शर्मा ने बताया कि आगामी 8 जून को अखिल भारतीय स्तर पर ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर विरोध दिवस मनाया जाएगा। आज जागरण सप्ताह के अंतिम दिन यूनियन के पदाधिकारी यातायात शाखा के सचिव हरिप्रसाद मीणा लोको शाखा के सचिव राजेश चाहर, कैरिज शाखा अध्यक्ष गजानंद शर्मा, इंजीनियरिंग शाखा सचिव सुरेंद्र मिल्की, हरकेश मीणा, आर पी मंगल, मनोज कुमार, आदिल खान, वीरेंद्र मीणा, हरिमोहन मीणा, शरीफ मोहम्मद, हरिमोहन गुर्जर, अब्दुल कासिम, बलदेव मीणा, आर के मीणा, कुबेर सिंह, रायसिंह, राकेश सोनवाल आदि ने रेल कर्मचारियों से मजदूर विरोधी नीतियों के बारे में चर्चा की।