किसानों के सामने क्यों झुक गई केंद्र सरकार? ये हैं बड़ी वजह

कृषि कानूनों के पिछले 57 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का महापड़ाव जारी है। सरकार के साथ कई दौर की बैठक के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकल सका। किसान इन कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हैं। पिछली बैठक में सरकार ने इन कानूनों को डेढ़ साल तक टालने का प्रस्ताव भी दिया है। वहीं किसानों का कहना है कि जब तक कानून वापस नहीं तब तक घर नहीं लौटेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने गणतंत्र दिवस पर होने वाली किसान ट्रैक्टर रैली को लेकर मामाल दिल्ली पुलिस के हवाले कर दिया है। अब दिल्ली पुलिस किसान ट्रैक्टर मार्च को लेकर क्या सुलह करती है। 26 जनवरी को अगर किसान ट्रैक्टर रैली होगी तो ये सरकार के लिए शर्मिंदगी की बात हो सकती है।
29 जनवरी से बजट सत्र की शुरुआत होने जा रही है। कृषि कानुनों के मुद्दे पर इस दौरान विपक्ष पूरी तरह से सरकार पर हमलावर रहेगा। भले ही सरकार के पास बहुमत हो लेकिन सरकार को किसी तरह की विपक्षी एकता रास नहीं आएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कृषि कानूनों को लागू किए जाने पर 12 जनवरी को रोक लगाई थी। कई नताओं का माना है कि कोर्ट का पैनल बनाना इस ओर इशारा है कि समाधान जल्द से जल्द हो। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कहना है कि सरकार को किसानों के साथ संवेदनशीलता के साथ पेश आना चाहिए। संघ नेतृत्व का कृषि कानूनों पर सरकार को खुला समर्थन नहीं होना बीजेपी के अंदर उन विरोधी आवाजों को मजबूती दे सकता है जिनका कहना है कि सरकार को कानूनों पर अधिक विचार करना चाहिए था।

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