गौशाला स्थापना-संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल सहमति की अनिवार्यता आदेश निरस्त करने की मांग

गंगापुरसिटी। गौशाला स्थापना और संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण मंडल की सहमति लेने को अनिवार्य करने के आदेश को निरस्त कराने की मांग को लेकर शुक्रवार को गौ सेवकों ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा है। अतिरिक्त जिला कलक्टर नवरत्न कोली के माध्यम से भेजे गए ज्ञापन में गौ ग्राम सेवा संघ जिला महामंत्री कृपाशंकर उपाध्याय, गौ सेवा समिति अध्यक्षग गोविन्द नारायण शर्मा ने ज्ञापन में बताया है कि समाचार पत्रों के माध्यम से जानकारी मिली है कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा सभी गौशालाओं को जल अधिनियम 1974 एवं वायु अधिनियम 1981 के अंतर्गत स्थापना एवं संचालन के लिए सहमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। राजस्थान में गौशाला समाज के द्वारा बिना लाभ प्राप्त के उद्देश्य से चलाई जाती है।

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गौशाला का संचालन मंदिरों की तरह होता है, सारे कार्य दान से प्राप्त धन से होते हैं। गौशाला में बीमार, दुर्घटनाग्रस्त निराश्रित गोवंश को संरक्षण दिया जाता है। राजस्थान में गौशाला के प्रति मंदिरों जैसी श्रद्धा आस्था आमजन में है। समाज के लोग बिना किसी स्वार्थ के गायों की सेवा करते हैं धन देते हैं समय देते हैं। इस नए नियम से गौशाला का संचालन मुश्किल हो जाएगा। नए नियमों की पालना नहीं होने पर मजबूरन गौशाला को बंद करना पड़ेगा। इस वजह से प्रदेश भर में लाखों गोवंश जो गौशालाओं में शरण ले लिए है,ं वह सड़कों पर आ जाएंगे एवं काल का ग्रास के शिकार हो जाएंगी।

वैज्ञानिक अनुसंधान से यह साबित हो चुका है कि देशी गौवंश के गौबर, गौमूत्र का प्रयोग पर्यावरण में सहायक है। इसलिए गौशालाओं से किसी भी प्रकार से पर्यावरण को खतरा नहीं है। ज्ञापन में नए आदेश को वापस लेने की मांग की गई है। इस मौके पर एडवोकेट नवीन शर्मा, हेमंत शर्मा, श्री गोपाल गौशाला समिति अध्यक्ष ओमप्रकाश साबुन वाले, अंकित गुप्ता, हिमांशु कौशिक, भगवान सिंधी, भूपेंद्र भूषण कटारा, गोपाल लाल गुप्ता, धर्म सिंह सैनी, गौरव शर्मा, धर्मेन्द्र खण्डेलवाल, रणवीर हाड़ा, श्रवण कुमार आदि मौजूद थे।