कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान दिल्ली की सीमाओं पर डेरा जमाए हुए हैं। किसान यूनियन का कहना है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापिस ले। केंद्र सरकार पर कानूनों को रद्द करने का दबाव बनाने के लिए किसान कई कदम उठा रहे हैं। कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 दौर की वार्ता हो चुकी है।
हरियाणा के खरखौदा में सोमवार को सर्वजातीय किसान महापंचायत का आयोजन हुआ। खरखौदा स्थित अनाज मंडी परिसर में महापंचायत में शामिल होने के लिए भीड़ा जमा हो गई। इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा भीड़ से कानून नहीं बदलने की बात कहने वालों को ये नहीं पता कि भीड़ सरकार को भी बदल देती है। उन्होने कहा कि अभी तो युवाओं ने कानून वापस लेने की बात कही है। उस समय क्या होगा जब युवा सत्ता वापसी की मांग करेंगे। लड़ाई केवल तीन कृषि कानूनों की नहीं है। बल्कि बहुत सारे और कानून आने है्ं। उन कानूनों के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी जाएगी।
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26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई चर्चा नहीं हो सकी है। इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च और फिर 6 फरवरी को देशव्यापी चक्का जाम आयोजित किया गया था। इसके बाद रेल रोको अभियान चलाया जा चुका है। अब किसान दिल्ली को कूच करने की तैयारी में है। बता दें कि दिल्ली में 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद आंदोलन फिर से तेज करने की तैयारी है।
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