अवकाश निरस्त करने के विरोध में शिक्षक संगठन लामबंद, सीएम व शिक्षा मंत्री को भेजे पत्र

गंगापुरसिटी। दीपावली का मध्यावधि अवकाश और प्रधानाध्यापक द्वारा घोषित अवकाश को निरस्त करने के के विरोध में विभिन्न शिक्षक संगठन लामबंद हो गए हैं। साथ ही मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री सहित उच्चाधिकारियों को पत्र लिख कर इन अवकाशों को यथावत रखने की मांग की है। राजस्थान राजपत्रित अधिकारी संघ (विद्यालय शिक्षा) ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा राज्य मंत्री, प्रमुख शासन सचिव एवं निदेशक माध्यमिक शिक्षा को पत्र लिखकर विद्यालय में दीपावली अवकाश निरस्त करने का विरोध किया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष करण दान रत्नू, प्रदेश महामंत्री मोहम्मद हारुन, प्रदेश संयुक्त मंत्री कपिल भार्गव, प्रदेश संगठन मंत्री हनुमान गोयल ने पत्र में लिखा है कि राज्य सरकार द्वारा इस प्रकार दोहरे मापदंड अपनाना ठीक नहीं है। एक और महाविद्यालय में समस्त प्रकार के अवकाश यथावत रखे गए हैं, वहीं दूसरी ओर विद्यालयों मे प्रधानाध्यापक द्वारा घोषित अधिकृत अवकाश, शैक्षिक सम्मेलन करने के लिए दो दिवस का अवकाश दीपावली का मध्यावधि अवकाशों को निरस्त करने का आदेश जारी किया गया है जो न्यायोचित नहीं है। रविवार को शामिल कर जब चार दिनों का दीपावली का राजपत्रित अवकाश है तो कुल 10 दिन का दीपावली का मध्यावधि अवकाश दिए जाने में परेशानी क्यों हो रही है। मात्र 6 दिन की छुट्टी नहीं देने का फैसला कर सरकार शिक्षक समुदाय को क्या संदेश देना चाहती है। इस अवधि में क्या बालक बालिकाएं विद्यालय आ सकेंगे। एक और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा शिक्षकों से हर प्रकार के कामों को कराया जाता है तब विद्यालय में बच्चों का शैक्षिक नुकसान नहीं होता। संघ ने राज्य सरकार से मांग की है कि केवल छात्र हित में ही नहीं बल्कि राज्य सरकार के हित में भी दीपावली अवकाश, शैक्षिक सम्मेलनों का दो दिवसीय अवकाश व प्रधानाध्यापक द्वारा अधिकृत अवकाश को यथावत रखा जाए अन्यथा सरकार को अनावश्यक उपार्जित अवकाश का भार पड़ेगा।

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रेसला ने शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र
राजस्थान प्राध्यापक सेवा संघ (रेसला) ने शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेज कर मध्यावधि अवकाश (दीपावली अवकाश), जिला व राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन की तिथि एवं प्रधानाध्यापक द्वारा घोषित अवकाश पर प्रतिबंध लगाने के आदेश को निरस्त कर पूर्ववत सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है। रेसला के ब्लॉक अध्यक्ष रूपसिंह मीना ने ज्ञापन में बताया है कि निदेशक की ओर से अवकाश (दीपावली अवकाश), जिला व राज्य स्तरीय शैक्षिक सम्मेलन की तिथि एवं प्रधानाध्यापक द्वारा घोषित अवकाश पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे शिक्षक वर्ग में रोष व्याप्त है। शिक्षक वर्ग राजस्थान में दूरस्थ स्थानों पर अपनी सेवा दे रहा है। अधिकांश शिक्षक के परिवार उनसे दूर रहते है। दीपावली ऐसा त्योहार है जिसे परिवार के लोग एक साथ रह कर त्योहार को मनाते हैं। दीपावली का यह अवकाश नहीं रखा जाता है तो एक हजार से डेढ़ हजार किलोमीटर की दूरी पर सेवा दे रहे शिक्षकों का इस त्योहार पर परिवार के साथ पहुंचना मुश्किल होगा, जो अव्यवाहरिक है। संगठन इसकी निंदा करता है। रेसला ने इस आदेश को तत्काल निरस्त करा कर पूर्ववत सार्वजनिक अवकाश घोषित कराने की मांग की है। साथ ही अन्य राजकीय कार्यालयों या विभागों के कर्मचारियों की तरह 5 दिवसीय सप्ताह या 30 पीएल के आदेश जारी कराने की मांग की है। वहीं इस मामले को ब्लॉक अध्यक्ष रूपसिंह मीना की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस दौरान अवकाश निरस्त करने की निंदा की गई। साथ ही प्रदेशाध्यक्ष को पत्र भेज कर बताया गया है कि शिक्षा विभाग माध्यमिक निदेशक के द्वारा शिक्षक वर्ग के हितों पर कुठराघात करने के लिए तुगलकी फरमान निकाला गया है। संगठन की ओर से पूर्ववत अवकाश को यथावत रखने अथवा अन्य विभागों के कर्मचारियों की भांति 5 दिवसीय सप्ताह कराने की मांग की गई है।

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समग्र शिक्षक संघ ने जताया विरोध
करौली। राजस्थान समग्र शिक्षक संघ ने दीपावली मध्यावधि अवकाश, संस्था प्रधान अधिकृत अवकाश निरस्त करने को लेकर विरोध जताया है। संगठन के जिला जिला मंत्री मदन मोहन तिवारी ने बताया कि दीपावली के अवकाश में अप्रत्याशित कटौती करनाए संस्था प्रधान के पॉवर की छुट्टी प्रतिबंधित करनाएशैक्षिक सम्मेलनों पर रोक लगाने सम्बन्धी यह आदेश सर्वथा अनुचित है। शिक्षा निदेशक के इस आदेश के विरोध में जिला अध्यक्ष रूपसिंह गोरेहार के नेतृत्व में आंदोलन करमुख्यमंत्री जी को जिला कलेक्टर के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित कर विरोध दर्ज कराया जाएगा। जिला संरक्षक प्रहलाद मीणा, जिला वरिष्ठ उपाध्यक्ष जय प्रकाश मीणा, जिला उपाध्यक्ष भरतलाल जोड़ली, पुरुषोत्तम शर्मा, घनश्याम डाविर, जिला कोषाध्यक्ष पीयूष कुमार शर्मा, जिला प्रवक्ता चेतराम मीणा, हररूपसिंह गुर्जर, कृष्णचंद्र मीणा आदि ने बताया कि शिक्षको ने कोरोना वारियर्स, ऑनलाइन शिक्षण, वेक्सीनेशन आदि कर्तव्य निष्ठापूर्वक निभाये हैं, लेकिन शिक्षा निदेशक के इस आदेश से शिक्षको में आक्रोश है।