रामकथा के अंतिम दिन फूटा श्रृद्धा का ज्वार

गंगापुर सिटी। रामकथा में सजी राम राज्याभिषेक की झांकी।

राम ने सभी को उचित सम्मान देते हुए किया राजकार्य – सियाराम शरण दास महाराज
गंगापुर सिटी।
श्रीराम कथा समिति के तत्वावधान में किरण पैलेस में चल रही भव्य राम कथा के अंतिम दिन पूज्य संत सियाराम शरण जी महाराज ने अंगद रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ वध, कुंभकरण वध, राम-रावण युद्ध, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राजा राम के राजतिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया।
महाराज ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। कथा व्यास ने श्रीराम कथा का वर्णन करते हुए कहा कि दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की सम्पत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करे। यह राम कार्य है। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया और बताया कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलता। अन्तत: अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों द्वारा की गई।
समापन अवसर पर कथा में कमेटी के सभी सदस्य मुख्य रूप से उपस्थित थे। प्रचार प्रवक्ता संजय एकट ने बताया कि कथा की पूर्ण आहुति मंगलवार को होगी। मुख्य संयोजक ओमप्रकाश धर्मकांटा और मुख्य यजमान नरदेव गुप्ता ने कमेटी के सभी सदस्यों, प्रशासन, मीडिया, सामाजिक संस्थाओं का कथा में सहयोग करने के लिए आभार व्यक्त किया।