Ram Mandir: वर्ल्ड डेस्क। समूचे देश और दुनिया में जहां अयोध्या में बन रहे श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इन सबके बीच एक राममंदिर ऐसा भी है जहां राम मंदिर का दरवाजा तो खुला रहता है लेकिन हिंदू इस मंदिर में पूजा नहीं कर सकते। जीहां..यह मंदिर पाकिस्तान में है जहां हिंदुओं के पूजा करने पर पाबंदी है। पाकिस्तानी सरकार इस मंदिर को हिंदुओं को सौंपने की बात करती है लेकिन हकीकत में ऐसा अब तक नहीं हो पाया है।
आइए जानते हैं, इस राम मंदिर के बारे में…
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास सैयदपुर में भगवान श्रीराम का मंदिर (Ram Mandir) है जिसे 1580 में राजा मानसिंह ने बनवाया था। कायदे आजम यूनिवर्सिटी के पुरातत्व विभाग के अनुसार भारत-पाक बंटवारे के बाद सभी मंदिरों की देखरेख रुक गई थी। 1950 के लियाकत-नेहरू समझौते में ऐसी पवित्र जगहों को शरणार्थी संपत्ति ट्रस्ट को सौंपने की बात हुई थी लेकिन सैयदपुर गांव और वहां का Ram Mandir परिसर आज भी इस्लामाबाद के राजधानी विकास प्राधिकरण के अधीन आता है।
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रावलपिंडी गजेटियर के अनुसार सैयदपुर गांव 1848 में बसा था। गजेटियर के अनुसार सैयदपुर गांव में एक Ram Mandir, गुरुद्वारा और एक धर्मशाला थी तथा हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष आते थे। गांव में भगवान राम और लक्ष्मण के नाम पर एक कुंड भी था। बंटवारे के बाद अधिकतर हिंदू सैयदपुर गांव छोड़कर भारत आ गए। इसके बाद सैयदपुर गांव और राम मंदिर परिसर को शत्रु संपत्ति बताकर पाकिस्तानी सरकार ने सील कर दिया।
बताया जाता है कि तत्कालीन इस्लामाबाद में करीब हिंदुओं के 300 घर थे। । इस गांव के आसपास कई ऐतिहासिक गुफाएं भी हैं। इस्लामाबाद की कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने वर्ष 2008 में सैयदपुर को धरोहर गांव माना और उसका फिर से निर्माण करवाया। इसके तहत Ram Mandir की रंगाई-पुताई करवाई लेकिन मंदिर से मूर्तियां हटा दी गईं। इस मंदिर का दरवाजा हमेशा खुला रहता है और हिंदुओं के पूजा करने पर पाबंदी है। अक्सर पाकिस्तानी सरकार इस मंदिर को हिंदुओं को सौंपने की बात करती है लेकिन वास्तविकता में ऐसा अब तक नहीं हो पाया है।
राम मंदिर में पूजा पर प्रतिबंध कब से
सैयदपुर गांव के Ram Mandir में हिंदू धर्म के लोगों को पूजा करने की अनुमति नहीं है। कई बार हिंदू धर्म के लोगों द्वारा इस मंदिर में पूजा किए जाने की अनुमति दिए जाने की मांग की लेकिन पाकिस्तान सरकार ने अब तक अनुमति नहीं दी है। लोगों के अनुसार वर्ष 1960 में इस राम मंदिर परिसर को बालिका विद्यालय में तब्दील किया गया था जिसका काफी समय तक हिंदुओं ने विरोध किया। इसके बाद वर्ष 2006 में इस स्कूल को हटा दिया गया लेकिन हिंदुओं को पूजा की अनुमति नहीं दी गई।