संत निरंकारी मंडल के प्रधान वी. डी. नागपाल ब्रह्मलीन

गंगापुरसिटी। संत निरंकारी मंडल के प्रधान वी. डी. नागपाल 9 अगस्त को अपने नश्वर शरीर को त्याग कर निरंकार में विलीन हो गए। मीडिया सहायक प्रिंस लखवानी ने बताया कि सतगुरु माता सुदीक्षा की कृपा से कुछ समय पूर्व 24 जुलाई को वी. डी. नागपाल को संत निरंकारी मंडल के प्रधान रूप में जिम्मेदारी दी गई थी। विशनदास नागपाल का जन्म 4 अक्टूबर 1934 को मुजफ्फरनगर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वे परिवार सहित गोहना रोहतक में रहने लगे। नागपाल को मिशन के तत्कालीन सतगुरु बाबा अवतार सिंह से जलंधर में ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हुई। 1966 में उन्हें सेवादल शिक्षक बनाया गया। दिल्ली में 1970 के वार्षिक निरंकारी संत समागम में उन्हें ब्रह्मज्ञान प्रदान करने की अनुमति दी गई। इसके बाद 1971 में पंजाब के मुआसर में सेवादल संचालक बने और वहीं पर उन्हें सेवादल के क्षेत्रीय संचालक के रूप में सेवा प्रदान की गई। सतगुरु बाबा हरदेव सिंह ने उन्हें मार्च 1987 में उप मुख्य संचालक (प्रशासन) के रूप में सेवा प्रदान की। वर्ष 1997 में उनको भवन निर्माण व देखभाल के मेम्बर इंचार्ज के रूप में मनोनीत किया गया। वर्ष 2009 से संत निरंकारी मंडल के महासचिव के पद पर अपनी सेवाओं को निभाते रहे। वर्ष २०१८ में सतगुरु माता सुदीक्षा ने उनको मंडल के उप प्रधान के रूप में सेवा प्रदान की। विशनदास नागपाल निष्काम भाव से सदैव अपनी सेवाएं निभाने के लिए तत्पर रहते थे। उनकी सेवाएं औरो के लिए अनुकरणीय प्रेरणा स्त्रोत बन गई है, जो अनेक पीढिय़ों तक स्मरण की जाएंगी।