किसकी होगी जमानत जब्त, कौन पहनेगा ताज ?

विधानसभा चुनाव 2023

Assembly Election Result 2023: गंगापुर सिटी। विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। सुबह 8 बजे से मतगणना शुरु होगी। दोपहर तक काफी हद तक तस्वीर साफ होने की उम्मीद है कि विजयश्री किसका वरण करेगी और किसकी जमानत जब्त होगी। विधानसभा चुनाव में कई दिग्गज उम्मीदवारों की साख दांव पर लगी है। इनकी जीत और हार कई मायनों में इन सूबों की सियासी तस्वीर तय करेगी। चुनाव परिणाम से पूर्व कई प्रत्याशियों को जमानत जब्त होने का भी डर है। कई लोगों विशेषकर पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं के जेहन में यह प्रश्न भी है कि आखिर चुनाव में जमानत क्या होती है और कैसे जब्त होती है? आइए समझते हैं…

क्या है जमानत राशि?

लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, प्रत्येक उम्मीदवार को जमानत के तौर पर चुनाव आयोग के पास एक निश्चित राशि जमा करनी होती है। इस राशि को ‘जमानत राशि’ अथवा सिक्योरिटी डिपॉजिट भी कहते हैं। लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य कैटेगरी के उम्मीदवारों को 25 हजार रुपए जमानत राशि जमा करानी होती है जबकि एससी-एसटी प्रत्याशी को 12 हजार 500 हजार रुपए जमा कराने पड़ते हैं। विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के प्रत्याशी को जमानत राशि के तौर पर 10000 रुपए और एससी-एसटी वर्ग के प्रत्याशी को 5 हजार रुपए की राशि जमा करानी होती है। जमानत राशि जमा करवाने का मकसद यह होता है कि चुनाव में सिर्फ गंभीर प्रत्याशी ही भाग लें।

कब होती है जमानत जब्त?

चुनाव आयोग के अनुसार यदि किसी चुनाव में उम्मीदवार को कुल वैध वोट का 1/6 यानी 16.67 फीसदी वोट नहीं मिलता है तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है। इस स्थिति में चुनाव आयोग जमानत राशि भी जब्त कर लेता है। किसी प्रत्याशी को 16.67 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिलता है तो उसकी जमानत राशि लौटा दी जाती है। कोई उम्मीदवार अपना नामांकन वापस लेता है या उसका नामांकन किसी कारण से रद्द होता है तो इस स्थिति में भी जमानत राशि वापस कर दी जाती है। इसके अलावा जीतने वाले प्रत्याशी की जमानत राशि भी वापस कर दी जाती है।

क्या है चुनाव में खर्च की सीमा?

चाहे लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव, प्रत्याशी अपनी जीत के लिए हर तरह का हथकंडा अपनाते हैं। पैसा भी पानी की तरह बहाने से पीछे नहीं हटते। हालांकि चुनाव आयोग इस पर कड़ी नजर रखता है। चुनाव में खर्च की सीमा भी तय की है। विधानसभा चुनाव में बड़े राज्यों में उम्मीदवार 40 लाख रुपए तक खर्च कर सकते हैं, जबकि छोटे राज्यों में उम्मीदवार को 28 लाख रुपए तक खर्च की छूट है। इसी तरह लोकसभा चुनाव में बड़े राज्यों में उम्मीदवार 95 लाख और छोटे राज्यों में 75 लाख रुपए खर्च कर सकते हैं।

कौन उठाता है चुनावी खर्च?

राज्यों के विधानसभा चुनाव का पूरा खर्च संबंधित राज्य सरकार वहन करती है। यदि किसी राज्य का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ हो रहा है तो इस स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें आधा-आधा खर्च वहन करती हैं।