राज्य सरकार का बड़ा फैसला: रिटायर जजों के पद होंगे समाप्त!

जयपुर। लोकायुक्त सचिवालय को लेकर राज्य सरकार एक बड़ा फैसला करने जा रही है। लोकायुक्त सचिवालय में प्रमुख सचिव, संयुक्त सचिव, ओएसडी सहित कुछ 10 पदों पर तैनात किए जाने वाले रिटायर जजों के पदों को समाप्त करने जा रही हैं। इनमें से एक प्रमुख सचिव का, छह संयुक्त सचिव का, एक ओएसडी, एक निजी प्रमुख सचिव के पद शामिल है। इन पदों पर राज्य सेवा के अफसरों को या फिर सेवा में रहने वाले जजों को लगाया जा सकता है। कार्मिक विभाग के स्तर पर लोकायुक्त अधिनियम में फेरबदल करने के लिए मंथन किया जा रहा है।
पिछले लोकायुक्त के कार्यकाल के दौरान काफी विवाद सामने आए। संयुक्त सचिव के पद पर तैनात दो रिटायर जजों ने तत्कालीन सचिव पर ही गंभीर आरोप लगाए दिए थे। जबकि लोकायुक्त सचिवालय के कर्मचारियों ने संयुक्त सचिव के पद पर तैनात रहे रिटायर जजों पर अनियमितता करने का आरोप लगा दिया था। राज्य सरकार के आला अफसरों का कहना है कि पिछले कांग्रेस सरकार के दौरान इन रिटायर जजों को लगाया गया था। सत्ता बदलते ही इनकी ओर से निशाना बनाया गया। कई जांचों में मनमर्जी की गई थी, जिसको देखते हुए राज्य सरकार लोकायुक्त सचिवालय में अब प्रमुख सचिव, संयुक्त सचिव, ओएसडी सहित अन्य पदों को खत्म करने के लिए अंतिम मसौदा तैयार कर लिया है। इन पदों को कभी भी खत्म कर दिया जाएगा।  लोकायुक्त सचिवालय में सात हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित  लोकायुक्त सचिवालय में सात हजार से ज्यादा शिकायतें लंबित पड़ी है। इसमें सरकारी अफसरों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोग को लेकर ज्यादा शिकायतें शामिल है। लोकायुक्त सचिवालय में लोकायुक्त और अन्य अफसरों की तैनाती न होने के कारण अब शिकायतें भी आनी बंद हो रही है। जबकि भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के मामले सामने आने पर आम आदमी की ओर से दस्तावेज व शपथ पत्र के साथ शिकायत दर्ज करवाने का प्रावधान है। एक साल से खाली लोकायुक्त की कुर्सी 
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले 10 मार्च 2019 को राज्य सरकार की ओर से अध्यादेश के जरिए तत्कालीन लोकायुक्त एसएस कोठारी को हटा दिया था। उसी के बाद से लोकायुक्त का पद खाली चल रहा है। राज्य सरकार ने जुलाई 2019 में देश में एक समानता के लिए राजस्थान लोकायुक्त संशोधन विधेयक-2019 पारित कर लोकायुक्त का कार्यकाल 8 साल से घटाकर 5 साल कर दिया। जबकि भाजपा ने लोकायुक्त के कार्यकाल को पांच से बढ़ाकर आठ साल किया था। उस दौरान लोकायुक्त पर कांग्रेस की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए थे। लोकायुक्त के कार्यकाल को आठ साल करने का विरोध किया गया था।