जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियाँ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से माँग की है कि लॉकड़ाउन के दौरान केन्द्र सरकार द्वारा आमजन को दी गई अनेकों राहत, सुविधाओं की तरह ही प्रदेश सरकार भी जनता को राहत दे।
डॉ. पूनियाँ ने कहा कि कोरोना संकट से उपजे हालात के बाद हुए लॉकडाउन के निर्णय से जनता को होने वाली परेशानियों से उन्हें बचाने के लिए भारत सरकार ने अनेकों घोषणाएँ की है, जिससे प्रदेश की जनता को भी उनका लाभ मिल रहा है। केन्द्र सरकार द्वारा मनरेगा में राजस्थान के लिए 2870 करोड़ रुपए की राशी जारी की गई, मनरेगा में न्यूनतम वेज राशी 182 रुपए थी जिसे बढ़ाकर 202 रुपए किया गया। उज्ज्वला योजना में प्रदेश के 62 लाख 77 हज़ार लाभार्थियों को 750 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 470 करोड़ रुपए की राशी के सिलेण्डर मुफ्त दिए जा रहे हैं। प्रदेश में महिला मुखिया वाले 1 करोड़ 52 लाख जन-धन खातों में 500 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से राशी डाली जा रही है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत इसी महीने प्रदेश के 37 लाख 20 हज़ार 415 किसानों को 2 हज़ार रुपए के हिसाब से 744 करोड़ 8 लाख 30 हज़ार रुपए की राशी आवंटित की गई है। भारत सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया शमन निधि के तहत राजस्थान को 740 करोड़ रुपए की राशी आवंटित की है। वृद्धावस्था, विधवा, दिव्यांग पेंशन धारकों को पेंशन के अलावा 500 रुपए दिए हैं। हेल्थवर्कर को 50 लाख का हेल्थकवर उपलब्ध करवाया। कोविड-19 के ट्रीटमेंट एवं मैनेजमेंट के लिए हेल्थ सिस्टम स्ट्रेंथनिंग को मिलाकर राजस्थान को कुल 1888.13 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं।
ड़ॉ पूनियाँ ने कहा की इस बड़ी आपदा से लडऩे के लिए भारत सरकार ने प्रदेश सरकार को 50 हज़ार पीपीई किट, 1 लाख एन-95 मास्क, 2 लाख ट्रिपल लेयर मास्क की खऱीद के लिए 3 करोड़ 71 लाख 15 हज़ार रुपए की अतिरिक्त राशी स्वीकृत की है। भारत सरकार ने प्रदेश के सभी बीपीएल कार्ड धारकों को तीन महीनों के लिए निशुल्क 5 कि़लो गेहूँ-चावल,1 कि़लों दाल प्रति व्यक्ति देने की घोषणा की है। प्रदेश में खाद्य आपूर्ति की कमी ना हो इसके लिए 5 अप्रेल तक 34 हज़ार मेट्रिक टन गेहूँ पहुँचा दिया गया है। प्रदेश के लोगों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना ना करना पड़े, इसके लिए और अनेकों घोषणाएँ भारत सरकार ने की है।
डॉ. पूनियाँ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से अपील की है कि इस विपरीत परिस्थिति में वे भी जन सामान्य को बिना भेदभाव के राज्य सरकार के स्तर पर राहत पहुँचाएं। किसानों और उपभोक्ताओं के तीन महीने के बिजली, पानी के बिल स्थगित नहीं बल्कि माफ़ किए जाएं, क्योंकि लॉक़ डाउन के दौरान उनके आय के साधन भी बंद पड़े हैं। तीन महीने के बाद इस इकट्ठे हुए बिल को वो कहाँ से चुकाएँगे। किसानों की खड़ी फसल की कटाई और फिऱ उसकी उचित मूल्य पर खऱीद की व्यवस्था राज्य सरकार करे। सुखी राहत सामग्री और भोजन पैकेट बिना भेदभाव हर जरूरतमंद तक पहुँचे, सरकार ये सुनिश्चित करे।