केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ रेल कर्मचारी आंदोलन पर आमादा

संकल्प पत्रों पर किए हस्ताक्षर
गंगापुर सिटी।
ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन और वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के आह्वान पर केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ 1 जून से 6 जून तक चलाए जा रहे रेलकर्मी जन जागरण सप्ताह के दौरान आज पश्चिम मध्य रेलवे में 8500 कर्मचारियों ने संकल्प-पत्रों पर हस्ताक्षर कर अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन करने की मंशा जताई।
मंडल उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन ने बताया कि पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा, भोपाल, जबलपुर मंडल में आज जागरण सप्ताह के तीसरे दिन भी हस्ताक्षर अभियान के तहत यूनियन पदाधिकारियों ने विभिन्न कार्यालयों में जाकर रेल कर्मचारियों से सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों का पर्दाफाश करते हुए आंदोलन के लिए तैयार रहने के बारे में चर्चा की।
आज गंगापुर सिटी में वेस्ट सेंट्रल रेलवे एंप्लाइज यूनियन की ओर से सवा तीन सौ कर्मचारियों से रेलकर्मी जागरण अभियान के तहत संकल्प-पत्र पर हस्ताक्षर किए। यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन ने बताया कि केरिज शाखा के तत्वावधान में आज सुबह की टीआरडी डिपो में एवं रेलवे पावर हाउस में यातायात शाखा के तत्वावधान में, छोटी उदेई रेलवे स्टेशन पर इंजीनियरिंग शाखा द्वारा, श्री महावीरजी, पिलोदा, खंडीप रेलवे स्टेशन पर और लोको शाखा के तत्वावधान में लॉबी पर सवा तीन सौ से अधिक कर्मचारियों ने हस्ताक्षर किए।
इस अवसर पर यूनियन के पदाधिकारी मण्डल उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन, मंडल सह सचिव श्रीप्रकाश शर्मा, लोको शाखा के सचिव राजेश चाहर, इंजीनियरिंग शाखा के महेश मीणा, इमरान खान, बृजेश जागा, रामदयाल मीणा, दिनेश गुर्जर, मनोज कुमार, तरुण यादव, यातायात शाखा के सचिव हरिप्रसाद मीणा, अब्दुल कासिम, संजय कुमार मीणा, सुधीर गुप्ता, कार्यकारी अध्यक्ष आर पी मंगल, परमाल मीणा, हरिमोहन मीणा आदि पदाधिकारियों ने रेल कर्मचारियों से केंद्र सरकार की नीतियों पर चर्चा की एवं आर-पार के संघर्ष के लिए आह्वान किया।
यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष नरेंद्र जैन और मंडल सह सचिव श्रीप्रकाश शर्मा ने इस अवसर पर कर्मचारियों को बताया कि केंद्र सरकार ने कोरोणा वायरस महामारी के दौरान कई मजदूर विरोधी निर्णय लिए हैं। केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता डेढ़ साल के लिए फ्रिज कर दिया गया। यूनियन के नेताओं का कहना है कि जब सरकार महंगाई पर अंकुश नहीं लगा सकती, तब उसे कर्मचारियों के महंगाई राहत और महंगाई भत्ते को रोकने का निर्णय नहीं लेना चाहिए था। आज सरकारी कर्मचारियों ने ही फ्रंट लाइन में रहकर कोरोना महामारी के दौरान आमजन की रक्षार्थ और सेवार्थ काम किया है। पारितोषिक देने की बजाय उनका महंगाई भत्ता रोकना अमानवीय निर्णय है। इसी प्रकार श्रम कानूनों को और ज्यादा लचीला बनाया जा रहा है जबकि उद्योगपतियों के पक्ष में नए कानूनी ईजाद किए जा रहे हैं। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने की तैयारी की जा रही है। यूनियन इसका घोर विरोध करती है। यूनियन के पदाधिकारियों ने बताया कि 8 जून को पूरे देश में सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध दिवस मनाया जाएगा।