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गंगापुरसिटी। आर्य समाज गंगापुरसिटी के तत्वाधान में 26 अगस्त से चल रहे चतुर्वेद शतकम् यज्ञ (Chaturveda Shatakam Yagya) का बुधवार को पूर्णाहुति के साथ समापन हुआ। आर्य समाज के मंत्री मदन मोहन गुप्ता ने बताया कि बुधवार को मदनमोहन गुप्ता, गोविंद बजाज, प्रदीप, जगदीश, दीपक कुमार, रमेश यजमान रहे। वेदपाठी राजवर्धन शास्त्री, उदय आर्य ने यजमानों को वेद मंत्रों की आहुति दिलवाई। भजनोपदेशक व उपदेशक संदीप आर्य मेरठ ने बताया कि नारी जाति पर महर्षि दयानंद के अनंत उपकार है। उन्होंने विधवा विवाह व नारी शिक्षा का समर्थन किया। स्त्रियों को वेद पढऩे का अधिकार दिया। उन्होंने बताया कि 1823 में मद्रास, 1825 में बम्बई प्रान्त एव 1833 में बंगाल प्रान्त में सर्वे हुआ तो तीनो प्रान्तों में मात्र 7 स्त्रियों शिक्षित थी। ऐसे समय मे महृर्षि दयानंद की शिक्षा से उनके शिष्यों ने स्त्रियों की शिक्षा के लिए गुरुकुल एवं विद्यालय खुलवाए।
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संरक्षक मदनमोहन आर्य ने बताया कि ईश्वर के वास्तविक स्वरूप को समझे बिना हम ईश्वर को प्राप्त नही कर सकते। आज पाखंडी लोग ईश्वर के बारे में कई प्रकार भ्रांति फैलाकर स्वयं को राम और कृष्ण का अवतार बताकर भोली-भाली जनता का शोषण कर रहे है। उपदेशकों ने ऋषिभक्ति और देशभक्ति के भजन व गीतों की प्रस्तुति दी। इस दौरान उपदेशकों व वेदपाठियों का सम्मान किया गया। इस मौके पर कार्यक्रम प्रधान रमेश गर्ग, मदनमोहन आर्य, नरेंद्र आर्य, वीरेंद्र आर्य, गोविंद आर्य, कैलाश मित्तल, सतप्रकाश सोनी, गिरीश आर्य, शुभम आर्य, आशुतोष आर्य, भरत आर्य, संजय आर्य, कैलाश सोनी, अंकुश आर्य, रविन्द्र खूंटेटा, सत्यप्रकाश आर्य, सुनीता आर्य, सावित्री महरवाल, सुमन आर्य, उषा खंडेलवाल, मिथलेश आर्य, रेणु आर्य, कविता खूंटेटा आदि मौजूद थे।
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