ग्राम पंचायत स्तर पर होंगे वॉटरशेड का विकास तथा कुकिंग गैस व डेयरी प्लांट्स का निर्माण

गंगापुर सिटी. परमाणु सहेली (डॉ. नीलम गोयल) भारत की परमाणु सहेली के नाम से जानी जाने वाली डॉ. नीलम गोयल व आईआईटी खडग़पुर में शिक्षा प्राप्त कर रहे विप्र गोयल ने गंगापुर सिटी के होटल सिंघल में एक प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया। प्रेस कांफ्रेंस का विषय था बारोमास जल, हरित बिजली, कुकिंग गैस, डेयरी व चारागाहों की सुव्यस्था के छोटे व मेगा प्रोजेक्ट्स के सन्दर्भ में आम से लेकर खास जन को जागरूक करना व इनके क्रियान्वयन में क्षेत्रीय जन समुदाय को ही शामिल करना।


ज्ञात रहे परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल ने तमिलनाडु, हरियाणा, राजस्थान (बाँसवाड़ा), गुजरात आदि कई राज्यों में काम किया है। इन राज्यों के काई वर्षों से अवरुद्ध मेगा प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रारम्भ करवाने में अपने सतत कर्म व जीवट के उदाहरण प्रस्तुत किये हैं। इन्हे अपने कार्यों के लिए वूमेन ऑफ़ दी फ्यूचर, द ग्लोबल विजनरी, लोकमत, नारी गौरव, द रियल हीरो, नाम करेगी रोशन बेटियाँ इत्यादि अवाड्र्स व प्रशंसा-पत्र प्राप्त हुए हैं।
आईआईटी के विप्र गोयल प्रोग्राम व तकनीकि सलाहकार ने बताया कि सवाईमाधोपुर जिले के 3 लाख परिवारों के पास पानी के लिए में तीन नदियाँ हैं। इसके दक्षिण-पूर्वी बॉर्डर पर चम्बल नदी है और मध्य में बनास व उत्तर-पश्चिम में मोरेल नदी हैं। सवाईमाधोपुर के दक्षिण-पूर्व में अरावली पर्वत हैं। मोरेल व बनास सीजनेबल हैं एवं तकरीबन सूखी रह जाती हैं। जबकि बारामासी नदी चम्बल व इसकी सहायक नदियों व वर्षा से कुल 14 हजार लाख घन मीटर पानी हर साल यमुना से गंगा में मिलता हुआ बंगाल की खाड़ी में व्यर्थ ही गिर जाता है। इस क्षेत्र के लिए पूर्वी नहर नदी योजना है, जिसके तहत 10 हजार लाख घन मीटर पानी को राजस्थान क्षेत्र में ही रोका कर बनास, मोरेल, बाणगंगा इत्यादि सूखी रह जाने वाली नदियों में भी बारोमास पानी के प्रवाह को बनाया जा सकेगा। लेकिन यह मेगा प्रोजेक्ट वर्ष 1994 से अटका-लटका पड़ा है।
सवाईमाधोपुर जिले की कुल कृषि योग्य भूमि 3.29 लाख हेक्टेयर में से 2.57 लाख हेक्टेयर पर ही कृषि की जाती है व बाकी की 72000 हेक्टेयर भूमि बंजर रह जाती है। फसल क्षमता भी साल में तकरीबन एक बार ही है। सिंचाई का मुख्य साधन नलकूप व बोरवैल ही है। जिसके चलते इस जिले का जल स्तर अलर्ट जॉन में आ गया है। यदि यही हाल रहा तो सवाईमाधोपुर का समूचा भूभाग रेगिस्तान में तब्दील हो जाएगा।
विप्र गोयल ने बताया कि बारामासा सतत जल की व्यवस्था के लिए गाँव-गाँव स्तर पर वाटरशेड के विकास से क्षेत्रीय वर्षा जल का संरक्षण किया जा सकेगा। इस स्कीम में जलखेतों का, छोटे नालों का, ट्रैंचों का, छोटी व संकरी नहरों इत्यादि के निर्माण से क्षेत्रीय किसान परिवारों के लिए खेती में पानी व मवेशी इत्यादि के लिए पीने के पानी व चारे की व्यवस्था भी हो सकेगी। सवाईमाधोपुर जिले की जमीन वाटरशेड के लिए उपयुक्त है। यह जमीन पानी सोखने वाली जमीन है। विप्र गोयल ने बताया कि सवाईमाधोपुर जिलें में कुल साढ़े 4 लाख दुधारू मवेशियां हैं। 24710 हेक्टेयर चारागाह भूमि भी है। चारागाहों की सुव्यवस्था से क्षेत्रीय स्तर पर डेयरी व बायोगैस प्लांट्स की भी व्यवस्था हो सकेगी। क्षेत्रीय परिवारों के लिए सतत रूप में कुकिंग गैस की व्यवस्था हो सकेगी और पशुओं के गोबर व दूध से भी उनकी आय में 35 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकेगा। 72000 हेक्टेयर बंजर पडी जमीन कप भी बरोमास पानी मिल सकेगा। जिले की फसल क्षमता तीन या इससे भी अधिक हो सकेगी। प्रति किसान परिवार 5 से 8 लाख रूपये की आय में बढ़ोतरी हो सकेगी।
परमाणु सहेली ने बताया कि राजस्थान में कुल 50 हजार गाँव हैं। पांच वर्ष के लिए चुनी गई सरकार सभी गाँवों में इस प्रकार की व्यवस्था करवा पाने में असमर्थ होती है। अत: क्षेत्रीय स्तर पर वाटरशेड के निर्माण में पहले तो क्षेत्रीय परिवारों को जागरूक होना है और साथ ही सामुदायिक प्रयास से इनका निर्माण भी करना है। विप्र गोयल ने बताया कि सवाईमाधोपुर जिले में पर्यटन एक मुख्य आकर्षण था जो अभी कोरोना के चलते मृतप्राय है। इस जिले में इंडस्ट्रीज व कंपनियां भी न के बराबर ही हैं। ऐसे में कृषि ही एक आधार है और इसे पानी व बल की सख्त आवश्यकता है। साथ ही इस जिले के कई क्षेत्रों में पीने के पानी में फ्लोराइड्स व आयरन पाया जाता है। इस समस्या के निराकरण हेतु स्मार्ट मॉड्यूलर संयंत्रों की स्थापना से प्रति घंटे 4 लाख लीटर पानी को शुद्ध किया जा सकेगा एवं जिले स्तर पर बेसलोड बिजली की भी आपूर्ति हो सकेगी। भविष्य में हाईड्रोजन गैस आधारित मोटर वाहनों के लिए हाइड्रोजन गैस का भी निर्माण हो सकेगा। जिसकी कीमत एक लीटर पेट्रोल के बराबर में 5 रुपए तक ही होगी। परमाणु सहेली ने अपने जल जन महा अभियान के तहत क्षेत्रीय स्तर पर वाटरशेड के निर्माण, बायोगैस व डेयरी के निर्माण व चारागाहों की सुव्यवस्था का काम करने का प्रयास प्रारम्भ कर दिया है।

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