महान हॉकी खिलाड़ी बलवीर सिंह के निधन के साथ एक युग का अंत

चंडीगढ़। पूर्व हॉकी कप्तान और तीन बार ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रहे 96 वर्षीय बलबीर सिंह सीनियर का आज सुबह 6 बजकर 17 मिनट पर देहांत हो गया। बलबीर सिंह सीनियर को गत 8 मई को निमोनिया और तेज बुखार की शिकायत के बाद मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान उन्हें तीन बार दिल का दौरा भी पड़ा। दिमाग में खून का थक्का जमने की वजह से वे 18 मई से कोमा में थे। हॉकी इंडिया ने भी पूर्व ओलिंपियन बलबीर सिंह के निधन पर दुख जताया है। बलबीर सिंह सीनियर सेक्टर 36 चंडीगढ़ में अपनी बेटी सुखबीर कौर और नाती कबीर के साथ रहते थे। बलबीर सिंह के तीन बेटे कनाडा में रहते हैं।
बलबीर सिंह ने हेलसिंकी ओलिंपिक के फाइनल में पांच गोल दागे
बलबीर ने 1952 के हेलसिंकी ओलिंपिक के फाइनल में नीदरलैंड्स के खिलाफ 5 गोल किए थे। किसी ओलिंपिक फाइनल में सबसे ज्यादा गोल करने का उनका यह रिकॉर्ड आज भी कायम है। भारत ने यह मुकाबला 6.1 से जीता था।
वे तीन बार के ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट थे
वे लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलिंपिक में गोल्ड जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे। उन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमेटी ने आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम खिलाडिय़ों में शामिल किया था। वे इस लिस्ट में शामिल होने वाले देश के इकलौते खिलाड़ी थे।
पद्मश्री हासिल करने वाले देश के पहले खिलाड़ी थे
इस पूर्व ओलिंपियन को 1957 में पद्मश्री दिया गया था। वह यह सम्मान हासिल करने वाले पहले खिलाड़ी थे। वे 1975 में इकलौता हॉकी वल्र्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर थे।
बलबीर सिंह की कप्तानी में भारत ने 1956 ओलिंपिक में गोल्ड जीता था
सिंह ने भारत के लिए 61 मैच में 246 गोल किए थे। 1956 मेलबर्न ओलिंपिक में उन्होंने भारतीय दल की अगुआई की थी। तब उनकी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने फाइनल में पाकिस्तान को 1.0 से हराकर लगातार तीसरी बार गोल्ड जीता था।