Fraud Worth Lakhs: संस्था के नाम पर खुद का सरनेम रख लाखों की ठगी, दो गिरफ्तार

आरोपी हर्ष चौहान उर्फ योगी हर्षनाथ।

भाजपा नेता सहित कई लोगों को बनाया निशाना, 87 फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र सहित कई दस्तावेज बरामद

Fraud Worth Lakhs: उत्तरप्रदेश। गोरखपुर में संस्था के नाम पर खुद का सरनेम रखने की जालसाजी कर भाजपा नेता सहित कई लोगों से लाखों रुपए की ठगी (Fraud Worth Lakhs: ) का अनोखा मामला सामने आया है। दो युवकों ने पहले तो फर्जी संस्था बनाई और फिर इसी संस्था के नाम पर स्वयं का सरनेम लगा लिया। इसके बाद इसी सरनेम का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने भाजपा नेता सहित कई लोगों से लाखों रुपए की ठगी की।
जालसाजों ने गोरखनाथ के पते पर योगी कार्पोरेशन नाम से संस्था का रजिस्ट्रेशन कराया। फिर अपना नाम बदलकर उसके आगे योगी जोड़ लिया। इसके बाद भाजपा और योगी समर्थकों को मैसेज भेजकर, किसी बहाने रुपए मांगते और बाद में फर्जी पहचान पत्र बनाकर भेजते थे।

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Fraud Worth Lakhs:

ठगी का शिकार कानपुर के सचंडी के गढ़ी भीमसेन की रहने वाली भाजपा मंडल मंत्री रंजना सिंह भी हुई। उन्होंने कैंट थाने में जालसाजी का केस दर्ज कराया। पुलिस जांच में मामले का भंडाफोड़ हुआ। गोरखनाथ पुलिस ने इस मामले में जालसाज हर्ष चौहान उर्फ योगी हर्षनाथ को गिरफ्तार कर लिया है।
पहले आरोपी की पहचान महराजगंज के थाना पनियारा के केदारनाथ अग्रहरी उर्फ योगी केदारनाथ तथा दूसरे की पहचान गाजियाबाद के हर्ष चौहान उर्फ योगी हर्षनाथ के रूप में हुई है। पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 87 फर्जी परिचय पत्र, 87 फर्जी नियुक्ति प्रमाण पत्र, 83 फर्जी लेटर पैड, 8 विभिन्न व्यक्तियों के प्रार्थना पत्र, दो मोबाइल फोन, 8 विभिन्न व्यक्तियों के नाम से जारी फर्जी आईडी कार्ड और भाजपा का एक फर्जी परिचय पत्र भी बरामद किया है। इसमें आरोपी केदारनाथ ने खुद को प्रदेश महामंत्री लिखवाया है।

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रंजना सिंह का आरोप है कि एक लिंक के जरिए उन्हें योगी कार्पोरेशन ग्रुप आफ इंडिया ग्रुप का मैसेज मिला था। ग्रुप के संयोजक केदारनाथ ने फोन कर आधार कार्ड की कॉपी, फोटो और रुपए मांगा। उनको बताया गया कि उन्हें कानपुर नगर का प्रभारी बनाया जा रहा है।
रंजना ने इस बात पर भरोसा करके जालसाजों को अपना डॉक्टयूमेंट्स और रुपए भेज दिए। जिसके बाद जालसाजों ने उन्हें कानपुर नगर का प्रभारी के नाम से उनका पहचान पत्र वाट्सएप ग्रुप पर भेज दिया। लेकिन, इसके कुछ दिनों बाद उन्हें इस फर्जीवाड़े की जानकारी हुई। जालसाजी की जानकारी होने पर उन्होंने गोरखपुर में केस दर्ज कराया था।