केंद्र सरकार का अहम फैसला, सूरज ढलने के बाद भी हो सकेंगे पोस्टमॉर्टम!

केंद्र ने पर्याप्त बुनियादी सुविधाओं वाले अस्पतालों में सूर्यास्त (Sunset) के बाद भी पोस्टमार्टम (Postmortem) करने की सोमवार को अनुमति दे दी। हालांकि, इनमें हत्या, आत्महत्या, दुष्कर्म, क्षत-विक्षत शव और संदिग्ध हालात हुई मौत के मामले को शामिल नहीं किया गया है। सूत्रों ने सोमवार को ये जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य पर्याप्त बुनियादी ढांचा उपलब्ध होने पर भी सूर्यास्त के बाद भी अंगदान के लिए पोस्टमॉर्टम पर जोर देना है.

एक सूत्र ने कहा कि सूर्यास्त के बाद पोस्टमॉर्टम करने के मुद्दे की जांच हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय की एक तकनीकी समिति ने की थी. बैठक के दौरान ये चर्चा हुई कि कुछ संस्थान पहले से ही रात के समय पोस्टमॉर्टम कर रहे हैं. एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि टेक्नोलॉजी में तेजी से प्रगति और सुधार को देखते हुए विशेष रूप से आवश्यक प्रकाश व्यवस्था और पोस्टमॉर्टम के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे की उपलब्धता, अस्पतालों में रात के समय पोस्टमार्टम करना संभव है.

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सूत्र ने बताया कि चर्चा उचित बुनियादी ढांचे वाले अस्पतालों में पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति देने के पक्ष में थी. अन्य लोगों के साथ-साथ बुनियादी ढांचे की फिटनेस और पर्याप्तता का आकलन अस्पताल प्रभारी की तरफ से किया जाएगा ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि साक्ष्य मूल्य में कोई कमी नहीं है. सूत्र ने कहा कि हालांकि हत्या, आत्महत्या, बलात्कार, क्षत-विक्षत शरीर और संदिग्ध बेईमानी जैसी कैटेगरी के तहत मामलों को रात के समय पोस्टमॉर्टम के लिए नहीं रखा जाना चाहिए, जब तक कि कानून और व्यवस्था की स्थिति न हो. साथ ही किसी भी संदेह को दूर करने के लिए पूरी रात पोस्टमॉर्टम के लिए पोस्टमॉर्टम की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और कानूनी उद्देश्यों के लिए भविष्य के संदर्भ के लिए संरक्षित किया जाएगा.

दिन के उजाले में ही किया जाता है पोस्टमॉर्टम

मौत की असली वजह जानने के लिए शवों का पोस्टमॉर्टम हमेशा दिन के उजाले में ही किया जाता है. रात के समय किसी भी शव का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाता है. इसके पीछे एक बहुत बड़ी वजह है. दरअसल रात के वक्त जलने वाली लाइटों में घाव का रंग बदल जाता है. आमतौर पर दिन के उजाले में जो घाव लाल रंग के दिखाई देते हैं, रात के वक्त लाइट की रोशनी में उनका रंग बैंगनी दिखाई देता है. अलग रंग की वजह से मौत की वजह की असली वजह मालूम करने में काफी दिक्कतें आती हैं. इतना ही नहीं रात में पोस्टमॉर्टम करने की वजह से किसी बड़े केस की जांच पर भी बुरा असर पड़ सकता है.

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