1965 में अमेरिका ने लगाई थी प्लूटोनियम डिवाइस, चमोली हादसे का जानें कनेक्शन

उत्तराखंड के चमोली जल प्रलय में कई लोगों की जान जा चुकी है। तपोवन की सुरंग में करीब 170 लोगों के फंसे होने की आशंका है और 32 शवों को निकाला जा चुका है। चमोली त्रासदी ने उत्तराखंड और गंगा नदी में परमाणु विकिरण की गंभीर चिंता बढ़ा दी है। इसका एक कारण ये है कि 1965 में उत्तराखंड में नंदा देवी पर्वत के शिखर पर रडार लगाए गए एक प्लूटनियम पैक का गुमा हो जाना था। इसके बाद से भारत सरकार इसकी तलाश कर रही है।
1965 में चीन पर नजर रखने के लिए अमेरिका के सहयोग से भारत सरकार ने एक रडार सिस्टम लगाया था। जब तकनीकी टीम रडार सिस्टम लगाने जा रही थी तो उनके पास एक प्लूटोनियम पैक भी था। लेकिन इसी दौरान एक तेज बर्फीला तूफान आ गया और सैनिकों को वह प्लूटोनियम पैक वहीं छोड़कर वापस आना पड़ा। लेकिन तूफान में प्लूटोनियम पैक खो गया जो आज तक नहीं खोजा जा सका। पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता है कि अगर चमोली में ग्लेशियर टूटने से इस प्लूटोनियम पैक को कोई नुकसान हुआ। इससे उत्तराखंड और गंगा नदी के जल में गंभीर परमाणु विकिरण का प्रदूषण पैदा हो सकता है।
इससे पर्यावरण के साथ-साथ आमजन को भी भारी नुकसान हो सकता है। उत्तराखंड सरकार ने इसे खोजने के लिए अपनी चिंता जताई है। लेकिन ये जानकर हैरानी होगी कि आज से 55 साल पहले इसी इलाके में अमेरिका ने प्लोटोनियम डिवाइस लगाई थी। कहीं इस जल प्रलय की वजह यही तो नहीं?