हिन्दी दिवस पर हुई काव्य-गोष्ठी

गंगापुर सिटी। अखिल भारतीय साहित्य परिषद, गंगापुर सिटी इकाई द्वारा हिन्दी दिवस के अवसर पर भोमिया की बगीची पर काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार हनुमान मुक्त ने की। गोष्ठी का आरंभ माँ सरस्वती की वंदना से हुआ। सर्वप्रथम कवि व्यग्र पाण्डे ने हिन्दी भाषा के सम्मान में अपनी रचना –
‘अपनी तो सुबह हिन्दी से
सांझ भी हिन्दी में ढ़लती है
कदम -कदम हर डगर
हिन्दी के साथ चलती है’
जिसे सभी ने खूब सराहा ।
अजय विद्रोही ने अपनी कविता में हिन्दी के महत्व को इस प्रकार दर्शाया ‘भारत माँ के भाल की बिन्दी, मत की प्राणाधार है हिन्दी।’
कवि मनीष माना ने ‘मैं आप सबकी भाषा हूँ, मैं बहुत ही सरल हूँ…’ पढ़कर हिन्दी की वर्तमान दशा पर प्रकाश डाला।
मनसुख विद्रोही ने अपनी व्यंग्य शैली में रचना पढ़ते हुए अपनी बात इस प्रकार कही… ‘तोड़ दिया दम किसी ने, खुलें में भूख की तपन से।’
एक नन्हीं कवयित्री साक्षी शर्मा ने ‘हमारा मान है हिन्दी, हमारा सम्मान है हिन्दी’ रचना पढ़कर सभी का मन मोह लिया ।
कृपाशंकर प्रीतम ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में गीत पढ़ा साथ ही अंत में हनुमान मुक्त ने काव्य-गोष्ठी में गद्य का रंग भरते हुए- ‘पीढिय़ों का टकराव’ गद्य व्यंग्य पढ़कर गोष्ठी में चार चाँद लगा दिये।
अंत में सभी ने आपस में सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी। गोष्ठी का संचालन कवि व्यग्र पाण्डे ने किया। गोष्ठी में सभी ने सोशल डिस्टेंस का पालन किया।