राजनीतिक हस्तक्षेप ने सभी बैंकों की स्थिति को खराब किया: वित्त मंत्री

ईडी की कार्रवाई से जब्त 15 हजार करोड़ बैंकों को लौटाए

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन रोकथाम कानून के तहत कार्रवाई करते हुए 15,186.64 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की है तथा इनमें से लगभग सारी राशि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वापस लौटा दी गई है। वित्त मंत्री ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब देते हुए यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि ऋणों का भुगतान न करने वालों, खासकर जानबूझकर कर ऐसा करने वालों के खिलाफ विभिन्न कानूनी प्रावधानों के जरिए कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में ‘बड़ी मात्रा में धनराशि’ बैंकों को वापस मिल रही है। सीतारमण ने कहा कि 31 मार्च, 2023 तक 13,978 ऋण खातों के खिलाफ वसूली के लिए कानूनी मुकदमे दायर किए गए जबकि 11,483 मामलों में ‘सरफेसी’ कानून के तहत कार्रवाई शुरु की गई है। इसी प्रकार 5,674 मामलों में प्राथमिकी दर्ज की गई है और कुल 33,801 करोड़ रुपए की वसूली हुई है।

इस दौरान उच्च सदन के सभापति जगदीप धनखड़ ने सीतारमण से ‘फोन बैंकिंग’ का अर्थ बताने के लिए कहा। वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने एक पूरक सवाल का जवाब देते हुए ‘फोन बैंकिंग’ शब्द का उल्लेख किया था। सीतारमण ने कहा कि ‘फोन बैंकिंग’ वह तरीका है जिसके जरिए (2004-2014 के दौरान संप्रग शासनकाल में) ‘राजनीतिक हस्तक्षेप ने हमारे सभी बैंकों की स्थिति को खराब कर दिया और उन्हें घाटे में ला दिया।’ उन्होंने कहा, ‘लोग बैंकों को फोन करते थे और कहते थे कि अमुक व्यक्ति आपके बैंक से ऋण लेने आएगा, कृपया उसे दे दें। उसका अर्थ है कि उनकी पात्रता आदि पर गौर करने की कोई आवश्यकता नहीं है तथा ऋण अवश्य दिया जाना चाहिए।’