ग्रामीण इलाकों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती

जयपुर. कोविड महामारी के बीच राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती थी, लेकिन इस चुनौती को पार पाने के लिए निशुल्क भोजन वितरण अभियान चलाए गए। इसके माध्यम से बड़े पैमाने पर कई जरूरतमंद परिवारों, बेसहारा व दिव्यांगों में निशुल्क भोजन वितरण किया गया। दो दशकों से ग्रामीण इलाकों में जरूरतमंदों के विकास के लिए काम कर रही नारायण सेवा संस्थान की निर्देशिका वंदना अग्रवाल महिला विकास से लेकर इच्छुक छात्रों की शिक्षा के लिए फीस तक वहन करने में पीछे नहीं हटी। उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान में कोविड-19 जैसी महामारी के बीच टीम बना कर जरूरतमंदों में खाना बांटने से लेकर दिव्यांगों की शिक्षा, गांवों में छात्रों को निशुल्क स्कूल यूनिफार्म वितरण जैसे कैम्पेन चलाए जा रहे हैं। इंडियन इंस्टीट्यूटी ऑफ सेरेब्रल पाल्सी के मुताबिक नवजात बच्चे के जन्म के दौरान शारीरिक वजन कम होने के चलते सेरेब्रल पाल्सी हो जाती है। सेरेब्लस पाल्सी वाले लगभग 43 प्रतिशत बच्चों का जन्म का वजन कम होता है, जबकि सेरेब्लस पाल्सी वाले 24 प्रतिशत बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं। वंदना अग्रवाल कहती है कि हमारा ध्यान पौष्टिक भोजन और शिक्षा पर है। जहां हम ग्रामीण क्षेत्र के कमजोर और अशिक्षित वर्गों की शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और इन क्षेत्रों में कम्बल, स्कूल डे्रस, कपड़े, स्वेटर, राशन जैसी सामान्य समस्याओं को हल करते हैं। ताकि निरक्षर को मुख्यधारा में लाया जाए। नाराचयण सेवा संस्थान ने 35 वर्षों में जरूरतमंद परिवारों, बेसहारा व दिव्यांगों में 982400 नारायण रोटी के पैकेट, 39136000 भोजन थाली और गांवों व शहरों में दिव्यांगों के लिए निशुल्क आर्टिफिशियल लिम्ब कैंप और राशन किट वितरित किए जा रहे हैं। साथ में कोविड के दौरान 154120 मुफ्त भोजन राशन किट, 77005 मास्क वितरण और कृत्रिम अंग वितरण शिविर लगाए गए हैं।