रेलकर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स नहीं मानने पर एआईआरएफ- डब्ल्यूसीआरईयू ने जताई आपत्ति
Railway Employees Work As A Corona Virus Warriors: कोटा। वेस्ट सेन्ट्रल रेलवे एम्पलाईज यूनियन के महामंत्री मुकेश गालव ने बताया कि एक तरफ लगातार कोरोना की पहली व दूसरी लहर में अपनी जान जोखिम में डालकर रेल कर्मचारी निरंतर फ्रंट लाइन वर्कर (Front Line Worker) की तरह मुस्तैदी से देश की सप्लाई चैन, प्राण वायु ऑक्सीजन को पहुंचाने में निरंतर जुटे हुए हैं। कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई है। 2 हजार से अधिक रेलकर्मचारी कोरोना महामारी में शहीद हो गए हैं। लाखों रेलकर्मचारी कोरोना पॉजिटिव हुए हैं लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर मानने से इंकार कर दिया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है। आल इंडिया रेलवे मैंस फेडरेशन (AIRF) महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने इस मामले में कड़ी आपत्ति जताते हुए राजेश भूषण, सचिव स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखकर नाराजगी व्यक्त की है।
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गालव ने बताया कि केंद्र सरकार ने रेल कर्मचारियों को फ्रंट लाइन वर्कर (FRONT LINE WORKER) की श्रेणी में शामिल नहीं किया है। उसने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पत्र में 15 मई 2021 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी गई है कि वे स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा संप्रेषित श्रेणियों से परे फ्रंटलाइन वर्कर्स की श्रेणियों में कोई अतिरिक्त न जोड़ें। जिस पर एआईआर महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर आक्रोश जताया है।
AIRF-WCREU ने यह आपत्ति जताई
भारतीय रेल देश की रक्षा की दूसरी पंक्ति है और रेलकर्मी हमेशा संकट के समय खड़े रहे हैं। सभी मौसम में चैबीसों घंटे सभी बाधाओं का बहादुरी से सामना करते हुए, राष्ट्र का पहिया चलाने के लिए जुटे हैं, ताकि पूरे देश में आवश्यक सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित बनी रहे। साथ ही जरूरतमंद यात्रियों को उसके गंतव्य तक पहुंचाकर राष्ट्र की सेवा कर रहा है। रेलवे कर्मचारी देशव्यापी तालाबंदी के दौरान भी घर पर नहीं रह सकते थे। खाद्यान्न, चीनी, पेट्रोलियम उत्पाद, चिकित्सा उपकरण, दवाएं, खराब होने वाली वस्तुओं, दूध सहित आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बड़ी संख्या में मालगाडियों के साथ-साथ समय सारिणी पार्सल ट्रेनों का संचालन करने में जुटे रहे। इसके अलावा रेलकर्मियों ने फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया। रेलकर्मियों द्वारा बड़ी संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई गई और कोविड-19 महामारी की स्थिति के दौरान 60 लाख से अधिक फंसे हुए श्रमिकों को उनके गृह गंतव्य तक पहुंचाया गया।
1 लाख से ज्यादा रेलकर्मी कोरोना पॉजिटिव, 2 हजार से ज्यादा हुए शहीद
गालव ने बताया कि लगभग एक लाख रेलवे कर्मचारी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे और यह संख्या इस समय तक अधिक हो सकती है। इसके अलावा, लगभग दो हजार रेलकर्मियों ने इस महामारी के दौरान अपने कत्र्तव्यों का पालन करते हुए अपने बहुमूल्य जीवन का बलिदान दिया है। अधिकांश रेलकर्मी फ्रंटलाइन वर्कर्स के मानदंडों को पूरा करते हैं, भारत के प्रधानमंत्री ने पहले ही कोविड-19 महामारी के दौरान रेलकर्मियों के प्रदर्शन की सराहना की है और उन्हें कोरोना वारियर्स कहा है।
रेलकर्मियों को कोरोना वारियर्स से क्यों वंचित किया
AIRF-WCREU ने आपत्ति जताते हुए कहा कि उनका फेडरेशन शुरू से ही विभिन्न संवर्गों के बीच समानता की मांग कर रहा है। इस कोरोना काल में और अपने कीमती जीवन को कुर्बान कर रहे हैं। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां मेडिकल स्टाफ और पुलिस कर्मियों आदि को फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में माना जा रहा है, वहीं रेलकर्मियों को इससे वंचित कर दिया गया है, जो पूरी तरह से अनुचित है।
रेल कर्मियों को तत्काल कोरोना वारियर्स माने
गालव ने बताया कि AIRF महामंत्री ने अपने पत्र में स्पष्ट कहा है कि अपने कत्र्तव्यों का पालन करने के दौरान एक लाख से अधिक कोरोना संक्रमित रेलकर्मियों और 2 हजार से ज्यादा स्टाफ की मौतों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, लाखों रेलकर्मियों का आग्रह है कि आप फ्रंटलाइन वर्कर्स श्रेणी में रेलकर्मियों को शामिल न करने के निर्णय की समीक्षा करें और रेलवे कर्मचारियों को सभी उद्देश्यों के लिए फ्रंटलाइन वर्कर्स के रूप में माना जाना चाहिए, जिसमें टीकाकरण में प्राथमिकता में करना शामिल है, ताकी रेल कर्मचारी व उनके परिवार को कोरोना की महामारी से प्राथमिकता के साथ बचाव किया जा सके।